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बंगाली समाज के लोग कैसे मनाते हैं दुर्गा पूजा? जानें दुर्गोत्सव के अनुष्ठान और प्रथाओं के बारे में
दुर्गा पूजा (Durga Puja) को दुर्गोत्सव, या शारोदोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय हिंदू हर साल हिंदू देवी दुर्गा (मां दुर्गा) के सम्मान में मनाया जाता है। मुख्य रूप से बंगाली कल्चर के लोग दुर्गा पूजा को काफी धूमधाम से मनाते हैं लेकिन धीरे-धीरे इस त्योहार को पूरे भारत के लोग सेलेब्रेट करने लगे हैं।
दुर्गा पूजा (Durga Puja) को दुर्गोत्सव, या शारोदोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय हिंदू हर साल हिंदू देवी दुर्गा (मां दुर्गा) के सम्मान में मनाया जाता है। मुख्य रूप से बंगाली कल्चर के लोग दुर्गा पूजा को काफी धूमधाम (Durga Puja Celebration) से मनाते हैं लेकिन धीरे-धीरे इस त्योहार को पूरे भारत के लोग सेलेब्रेट करने लगे हैं। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मुंबई में बंगालियों की संख्या काफी ज्यादा है इस लिए इन शहरों में भी मां दुर्गा की पूजा के लिए पंडाल सजाया जाता है जहां कोने-कोने से लोग आते हैं।
बंगाली घर में दुर्गा पूजा कैसे मनाई जाती है
विषेश रूप से दुर्गा पूजा भारतीय राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, त्रिपुरा और बांग्लादेश देश में लोकप्रिय और पारंपरिक रूप से मनाया जाता है। त्योहार अश्विन के भारतीय कैलेंडर महीने में मनाया जाता है, इस त्यौहार की धूम दस दिन तक होती है। दुर्गा मां के पंडाल में 10 दिनों कर भव्य रूप से मां की आरती करके उन्हें खुश करने की कोशिश की जाती है।
10 दिनों की दुर्गा पूजा में आखिरी पांच दिनों का है खास महत्व
दुर्गा पूजा (Durgotsava) का त्योहार बंगालियों के लिए 10 दिनों के लिए होता है जिसमें घर के मंदिर के साथ साथ सार्वजनिक रूप से पंडाल बना कर मां दुर्गा की आराधना की जाती है। दुर्गा मां के पंडाल में एक अस्थायी मंच तैयार किया जाता है, जिसे बहुत ही खूबसूरत और अनौखी चीजों से सजाया जाता है। 10 दिनों के त्योहार को धर्मग्रंथों के पाठ, प्रदर्शन कला, रहस्योद्घाटन, उपहार देने, परिवार के दौरे, दावत और सार्वजनिक जुलूसों द्वारा भी मनाया जाता है। दुर्गा पूजा हिंदू धर्म की शक्तिवाद परंपरा में एक महत्वपूर्ण त्योहार है।
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