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जातीय जनगणना में हिंदू घटा, मुस्लिम बढ़ा वाली रिपोर्ट पर देश में मचा बवाल 10-May-2024
*Sukhbir Singhotra* हिंदू घटा - मुस्लिम बढ़ा जातीय जनगणना पर आई रिपोर्ट पर देश में बवाल मच गया है | उल्लेखनीय है कि 2011 के बाद अभी तक देश में जनगणना नहीं हुई और एन चुनावों के वक्त हिंदुओं और मुसलमान की जनसंख्या का विश्लेषण राजनीतिक गलियों में चर्चा का विषय बन गया है गरमा गरम बहस चल रही है पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हो गया है, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति द्वारा तैयार की गई यह रिपोर्ट संदेहों के दायरे में है अनेक लोगों का कहना है कि जब 2011 से जाति जनगणना हुई ही नहीं तो है रिपोर्ट कहां से आई, ऐसे में क्या माना जाए कि यह चुनाव में मतदान को प्रभावित करने वाली रिपोर्ट है या फिर इसके पीछे कोई और बड़ा एजेंडा है ? यहां यह बताना भी जरूरी है की हिंदुस्तान में इस रिपोर्ट के अनुसार मुसलमानों की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है तो वही पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या में अत्यंत गिरावट हो रही है और इसके बावजूद भारत के मुसलमान अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं परंतु किसी भी विपक्षी राजनीतिक दल के द्वारा कभी भी कोई ऐसा बयान नहीं आया कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ वहां की सरकार पर दबाव बनाने और अत्याचार रोकने के बारे में कहा हो | जबकि पूरी दुनिया में हिंदुस्तान ही एक ऐसा देश है जहां मुसलमान को पूरी स्वतंत्रता है | भारत में मुस्लिम हर क्षेत्र में सहभागिता के साथ भारत के संविधान के अनुसार बिना डर के, बिना दबाव के सभी शासकीय योजनाओं में बराबर की भागीदारी के साथ जीवन जी रहे हैं और हिंदुस्तान ही एक ऐसा देश है जहां बहुसंख्यक हिंदुओं के बीच मुसलमान पूरी तरह सुरक्षित हैं इसके बावजूद भी भारत के कुछ मुसलमान राष्ट्र विरोधी बातें करते हैं, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान का समर्थन करते हैं , उन्हें भारत के संविधान के अनुसार बोलने की पूरी स्वतंत्रता है और वही दूसरी तरफ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या में भारी गिरावट हो रही है, उन पर अत्याचार हो रहे हैं, उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया जाता है, जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराया जाता है जो कि जग जाहिर है फिर भी दुनिया के राजनेता इस पर अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं है | इस मामले में हिंदू राष्ट्र की बात करने वाले पंडित धीरेंद्र शास्त्री का बयान नहीं आया जबकि जिस तरह से वह खुलकर हिंदू राष्ट्र की बात कर रहे थे ऐसे समय में उनका बयान ना आना आश्चर्य का विषय है | ________________________ *DD News की खबर* भारत में घटी हिंदुओं की संख्या, लगभग 8 प्रतिशत की आई कमी आर्थिक सलाहकार परिषद की हालिया रिपोर्ट से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। दरअसल, रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में करीब 43% मुस्लिम आबादी बढ़ी है। 1951 से मुस्लिम आबादी करीब 43 प्रतिशत बढ़ गई रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 1951 से हिंदुओं की आबादी में लगभग 8 प्रतिशत की कमी आई है। जबकि इसी दौर में मुस्लिम आबादी करीब 43 प्रतिशत बढ़ गई है। ऐसे में बहुसंख्यकवाद के नेरेटिव पर इस रिपोर्टे ने पानी फेर दिया है। वहीं चुनावी मौसम में इस पर राजनीतिक बहस जारी है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में भी हिंदू हो रहे विलुप्त दरअसल, भारत में अल्पसंख्यक के उत्पीड़न को लेकर अभी तक जितना नैरेटिव गढ़ा गया वो सब झूठ निकला है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में देखा जा सकता है जहां हिंदू विलुप्त होते जा रहे हैं। यानी अल्पसंख्यक वहां पर विलुप्त हो रहे हैं। पाकिस्तान में 18 प्रतिशत हिंदू आबादी इस दौर में 1.18 प्रतिशत पाकिस्तान में 18 प्रतिशत हिंदू आबादी इस दौर में 1.18 प्रतिशत पर सिमट गई। बांग्लादेश की बात करें तो वहां 24 प्रतिशत हिंदू आबादी 8.2 प्रतिशत सिमट कर रह गई है जबकि इसी दौर में मुस्लिम आबादी काफी बढ़ी है। भारत में अल्पसंख्यकों को लेकर नहीं किया गया कभी भेदभाव यदि भारत की बात करें तो यहां अल्पसंख्यकों को लेकर कभी भेदभाव नहीं किया गया। इसकी पुष्टि ये आंकड़े भी कर रहे हैं। पीएम की इकोनॉमिक काउंसिल की स्टडी में 1950 में मुस्लिमों की आबादी 9.84 प्रतिशत थी जो 2015 तक 14.9 प्रतिशत हो चुकी है। प्रियंका गांधी का कहना है कि सवाल महंगाई और बेरोजगारी का है तो बात भी इसी पर होनी चाहिए। यानी वो इस मुद्दे पर बात नहीं करना चाहती। वहीं राहुल गांधी इकोनॉमिक सर्वे की बात करते हैं और जिसकी जितनी आबादी उतना हक का नारा देते हैं। उधर भाजपा नेता कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं कि ये लोग भारत को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं। भारत के लिए वहीं कुछ नेता जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता पर जोर देते हैं। सीएए कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान के पीड़ित अल्पसंख्यकों को जब नागरिकता दी जाती है तो वे इसका विरोध करते हैं और कहते हैं कि इसे लागू नहीं होने देंगे। जनता का बढ़ता घनत्व देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को करता है प्रभावित वहीं समान नागरिकता संहिता का भी विरोध किया जाता है। ऐसे में मुस्लिम को लेकर विक्टिम कार्ड आखिर क्यों खेला जाता है। आप रिपोर्ट के आंकड़ों में पाएंगे कि जनता का बढ़ता घनत्व देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित करता है।


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