छत्तीसगढ़ में भी होगा 7 मई को मॉक ड्रिल : सायरन बजे तो डरना नहीं : मोदी

छत्तीसगढ़ में भी होगा 7 मई  को मॉक ड्रिल : सायरन बजे तो डरना नहीं : मोदी

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में मॉक ड्रिल होगा. मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 7 मई को देशभर में मॉक ड्रिल आयोजित करने का आदेश दिया है।

पहलगाम हमले के बाद से सरकार और सेना एक्शन मोड में है. इस बीच देशव्यापी स्तर पर बुधवार को मॉकड्रिल किया जाएगा. देश के कुल 244 जिलों में मॉकड्रिल किया जाएगा. जिसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के भी जिले शामिल हैं. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गोरखपुर, सहारनपुर, वाराणसी, चंदौली, आगरा, बरेली, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, झांसी और प्रयागराज सहित अन्य जिलों में मॉकड्रिल किया जाएगा.

इन जिलों में होगी मॉकड्रिल
वहीं मध्य प्रदेश के पांच जिलों में मॉक ड्रिल होगा, जिसमें भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, कटनी और इंदौर शामिल है. जबकि राजस्थान के जोधपुर, कोटा, उदयपुर, सीकर, नागौर, भरतपुर, बीकानेर, बूंदी, गंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर और छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में मॉक ड्रिल होगा. वहीं उत्तराखंड के देहरादून में भी मॉक ड्रिल होगी.

कैसे होती है मॉक ड्रिल?

मॉक ड्रिल के आयोजन से पहले एक संपूर्ण योजना बनाई जाती है। इसमें यह तय किया जाता है कि कौन-सी आपदा की स्थिति को ध्यान में रखकर अभ्यास किया जाएगा, कौन-कौन इसमें भाग लेंगे, किन संसाधनों की आवश्यकता होगी और क्या लक्ष्य है। निर्धारित दिन और समय पर मॉक ड्रिल शुरू की जाती है। प्रतिभागियों को बिना पूर्व सूचना के अभ्यास में शामिल किया जाता है ताकि उनकी वास्तविक प्रतिक्रिया का मूल्यांकन किया जा सके। उदाहरण के लिए, यदि मॉक ड्रिल आग लगने की स्थिति पर आधारित है, तो जैसे ही अलार्म बजता है, सभी कर्मचारियों को तत्काल निकासी मार्ग से बाहर निकलने के निर्देश दिए जाते हैं। फायर ब्रिगेड और मेडिकल टीम भी भाग लेती हैं, और देखा जाता है कि कितनी देर में इमरजेंसी रिस्पॉन्स शुरू होती है और सभी लोग सुरक्षित स्थान पर पहुंचते हैं या नहीं।

मॉक ड्रिल से क्या लाभ?

मॉक ड्रिल के माध्यम से लोगों में आपदा के प्रति सजगता आती है और वे समझते हैं कि किसी संकट की स्थिति में क्या करना है। मॉक ड्रिल से यह पता चलता है कि सिस्टम में कौन-कौन सी खामियां हैं जिन्हें सुधारना आवश्यक है। विभिन्न विभागों जैसे फायर ब्रिगेड, पुलिस, मेडिकल टीम आदि के बीच तालमेल बेहतर होता है। आम जनता को भी यह अभ्यास देखने से सीख मिलती है कि आपदा की स्थिति में क्या करना चाहिए।