State News
  • छत्तीसगढ़ में दो नए कोरोना मरीजों की पुष्टि...प्रदेश में एक्टिव मरीजो का आंकड़ा पहुंचा 649
    छत्तीसगढ़ । के महासमुंद जिले में एक क्वारंटाइन सेंटर से दो नए कोरोना मरीजों की पुष्टि हुई है। बताया जा रहा है कि दोनों कोरोना संक्रमित मरीज क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे थे। फिलहाल कोरोना पॉजिटिव मरीजों को अस्पताल शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही है। गौरतलब है कि आज प्रदेश में मिले दो नए मरीजों के साथ प्रदेश में अब एक्टिव मरीजो की संख्या 649 हो गई है। वहीें मेडिकल बुलेटिन के अनुसार प्रदेश में अब तक 2547 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। छत्तीसगढ़ में अब तक 1885 लोग कोरोना से जंग जीत चुके हैं। बता दें कि प्रदेश में अब तक 13 कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी है।
  • पंचमराम लोहार किसानों के औजार मरम्मत और धार करने में व्यस्त  औजारों की धार या छोटी मरम्मत से हो जाती है, जरूरत की कमाई  काम के दौरान मास्क का उपयोग और हाथों को करते हैं सेनीटराईज
     वर्तमान दौर में खेती-किसानी के आधुनिक कृषि उपकरणों ने परंपरागत लोहारी के धंधा को एक तरह से मंदा कर दिया है। खेती किसानी प्रारंभ होने से पहले लोहारों के पास कभी किसानों की लाईन लगती थी। अब गिनती के किसान हल, कुल्हाड़ी, फावड़ा एवं गैंती की मरम्मत या धार कराने पहुुंचते है। कोरोना संक्रमण की मार के कारण पहले से काम कम हो गया है। किन्तु लॉकडाउन में दी गई छूट और जिले में आर्थिक गतिविधियां शुरू होने पर एक खुशी हुई। इन विपरीत परिस्थितियों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने लोहारों की उम्मीदें जगा दी है। क्योंकि मिट्टी खोदने के श्रममूलक कार्य में गैंती, फावड़ा और तसला (धमेला) की जरूरत पड़ती है। पंचमराम लोहारी काम करते समय कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु पूरी सावधानी बरतते हैं। वे काम करते समय मास्क लगाना नहीं भूलते। वे अपने पत्नी और बच्चों को भी मास्क पहनाये रखते हैं। साथ ही काम के बाद अपने और परिवार के हाथों को सेनीटाराईज भी करते हैं। 

    जिला मुख्यालय से सटे गांव खोड़गांव में लोहार का काम करने वाले पंचमराम पड़ोसी जिला कोण्डागांव के ग्राम सोनाबाल निवासी है। उन्होंने बताया कि उनका यह पुश्तैनी काम है। उनके दादा और पिताजी भी कुदाल, गैंती, कुल्हाड़ी, हल आदि कृषि उपकरण बनाते थे, उन्हें यह काम विरासत में मिला है। लेकिन हल का स्थान तो अब टैªक्टर, पावर ट्रिलर आदि ने ले लिया है। वहीं किसान फावड़ा, कुल्हाड़ी, कुदाल व गैंती को बाजार से खरीद लेते है। केवल इक्का दुक्का किसान ही उक्त कृषि उपकरणों की मरम्मत या धार कराने के लिए आते है। लोहार पंचमराम ने बताया कि धार या छोटी मरम्मत के एवज में 50 से 100 रूपये लेते हैं। उनकी पत्नी ललिता भी उनका पूरा साथ देती है। रोज उनकी 300 से 400 रूपये वर्तमान में कमाई हो जाती है। पूछने पर उन्होनंे बताया कि उनके पास बीपीएल राशन कार्ड है। लेकिन वह ग्राम सोनाबाल का है। सरकारी दुकान से उन्हें राशन भी मिल जाता है। पंचमराम ने बताया कि मानसून के बाद वह ईट भटटे में ईट बनाने का काम करेंगे। खरीफ और रबी फसल की तैयारियों के समय वह कृषि औजारों आदि का काम करते है।   

    पंचमराम ने बताया कि क्योंकि गैंती में दोनों ओर से धार करना पड़ता है। मनरेगा में काम करने वाले मजदूर गैंती तो बाजार से खरीदते है, लेकिन वे धार करने के लिए हम जैंसे लोगों के पास पहुंचते है। इसी तरह फावड़ा में भी धार करने का काम पहले से बढ़ा है। उन्होंने बताया कि पहले धान कटाई केवल हंसिया से की जाती थी। नतीजन हंसिया में लौहारों के पास धार करना पड़ता था। अब ज्यादातर किसान अपनी फसल की कटाई हार्वेस्टर से कराते है। इसलिए लौहारों के पास हंसिया भी ज्यादा नहीं पहंुचता है।
    मनरेगा अधिनियम लागू होने के बाद से जिले के गांव-गांव में जॉब कार्डधारी मजदूर है। हर मजदूर के घर में गैंती और फावड़ा होते है। हर घर में इनकी संख्या अलग-अलग हो सकती है। इसी तरह मिट्टी मुरूम एकत्र करने में उपयोग होने वाला फावड़ा भी घर-घर में मौजूद रहता है। जंगली ईलाका होने के कारण ज्यादातर ग्रामीण कुल्हाड़ी, कुदाल और बसूला का इस्तेमाल यहां करते हैं। मानसून आते ही किसान भी उनके पास औजारों की मरम्तत कराने उनके पास पहुंचने लगे हैं। 
  • खेत में मिली अज्ञात युवक की लाश...गांव में फैली सनसनी...जांच में जुटी पुलिस
    राजनांदगांव। ग्राम कुम्हि में एक खेत में पेड़ पर लटकी हुई लाश मिलने से गांव में सनसनी फैल गई। मिली जानकारी के अनुसार किसान जब खेत में सुबह काम करने गया तो उसे दुर्गंध आई। देखने पर पता चला कि वहां पेड़ पर कुछ लटका है। उसने गाँव जाकर इसकी सूचना दी। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। लाश को उतारकर पंचनामा के बाद  पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। पुलिस जांच में जुटी है।
  • बेचा एंव कड़ेनार मे स्व-सहायता निर्माण हेतु बैठक का हुआ आयोजन

    कई सालो से सुदूर वनांचल ग्राम बेचा एवं कड़ेनार मे आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए स्वरोजगार के विभिन्न माध्यमो की मांग इन अतिवादी शक्तियों से घिरे इन ग्रामो मे की जाती रही है। इस बात की जानकारी जब कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा को प्राप्त हुई इस पर उन्होने त्वरीत कार्यवाही हेतु जल्द से जल्द इन क्षेत्रो मे बिहान के अधिकारियों को पंहुच यहां स्वरोजगार के अवसरो की गांव वालो के मध्य जाकर चर्चा कर स्व-सहायता समुहो का गठन करने के निर्देश दिये। इस संबध मे जिला कार्यक्रम प्रबंधक नितेश देवांगन ने बताया की विगत 23 जून को राष्ट्रीय आजीविका मिशन ’बिहान’ की टीम द्वारा बेचा एवं कड़ेनार का दौरा किया गया। यहां पूर्व मे प्रशिक्षको द्वारा 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम मार्च मे किया गया था। वर्तमान मे बैठक के द्वारा 17 समुहो के कड़ेनार, बेचा कीलम एवं आसपास के क्षेत्रों मे बनाये जाने की संभावना जताई गई है। कड़ेनार में 5 समुह कार्य प्रारंभ करने की स्थिति मे है। जिनमें एक-एक समुह मछली पालन, बकरी पालन, दो समुह मुर्गी पालन एवं सीमेंर्ट इंट निर्माण में कार्यरत है जबकि तिखूर उत्पादन एवं प्रसंस्करण मे विभिन्न समुह की महिलायें एक साथ कार्य कर रही है। नावा बेस्ट नार्र के नोडल अधिकारी प्रकाश बागड़े ने बताया की बेंचा मे 4 समुहो में रूचि दिखाई है जिसमे से वर्तमान मे एक समुह मुर्गी एवं सीमेंट ईट निर्माण कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। इस बैठक मे एसपीएम रैनू राम नेताम, क्षेत्रिय समन्वयक तुलसीराम मण्डावी एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रजबती बघेल सहित समुह की महिला एवं ग्रामीण उपस्थित थे।
    इस संबध मे कलेक्टर ने बताया की स्व-सहायता समुहो के निर्माण के साथ उनका बैंक खाता निकटतम मर्दापाल बैंक शाखा मे खोला जा रहा है। भविष्य मे इन समुहो को आधुनिक तकनीकी द्वारा खेती एवं बागबानी के साथ जोड़ा जायेगा एवं निर्माण कार्यो मे स्थानीय बनी ईंटों का ही प्रयोग होगा ताकि ग्रामीणो की आर्थिक स्थिति मे ईजाफा किया जा सके।

  • जिले के हस्तषिल्प कारीगरो के साथ कलेक्टर ने की चर्चा कारीगरो की आय मे वृद्धि करना है प्रषासन का लक्ष्य- कलेक्टर

    कोरोना आपदा के समय सर्वाधिक आर्थिक संकट झेलने वालो में हस्तशिल्प कारीगर भी शामिल रहें है ।विगत 3 महिनो से लाॅकडाउन के कारण प्रर्दशिनियों एवं बाजारो में शिल्प का विक्रय ना होने से हस्तशिल्प कारीगरो के समक्ष विकट आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया हैं। जिससे वे हस्तशिल्प से दूर होकर कृषक मजदूर के रूप में कार्य करने को मजबूर हो रहे है। इस स्थिति को देखते हुए कलेक्टर ने विगत 26 जून को जिले के हस्तशिल्प कारीकरो के साथ उनकी समस्याओं को जानने समीक्षा बैठक आयोजित की। इस बैठक मे जिले के बेलमेटल, लौहशिल्प आदि कलाओं से जुड़े कारीगर उपस्थित हुए जहां पर कारीगरो ने सर्वप्रथम  कलेक्टर को स्मृति चिन्ह के रूप मे बेलमेटल से बनी कलाकृति भेंट की साथ ही उन्हे अपनी समस्याओं से अवगत कराया जिसमें उन्होने अपनी कलाकृतियों के उचित दाम ना मिलने, शबरी एम्पोरियम द्वारा कलाकृति ना खरीदने प्रर्दशिनियों के बंद हो जाने, बिचैलियों द्वारा औने-पौने दामो मे कलाकृति को खरीदने, शिल्प नगरी के अधूरे निर्माण, कच्चे माल के कीमतो मे इजाफा, निश्चित बाजारो के अभाव आदि समस्याओं से अवगत कराया। इस पर कलेक्टर ने उन्हे जल्द से जल्द समस्याओं के निवारण का आश्वासन दिया।
    इस संबध मे कलेक्टर ने बताया कि प्रशासन हस्तशिल्प कारीगरो की समस्याओं को ध्यान मे रखते हुए कार्ययोजना बना रही है। प्रशासन का प्रमुख लक्ष्य आय मे वृद्धि कर कारीगरो को उनकी मेहनत उचित मूल्य प्रदान करना एवं उनकी आय मे वृद्धि करना है।कार्यालय अनुविभागीय कृषि अधिकारी द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार सरगीपाल पारा निवासी प्रवीण कुमार रामटेके जो कि अनुविभागीय कृषि विस्तार अधिकारी कार्यालय विकासखण्ड कोण्डागांव में सहायक ग्रेड-03 के पद पर पदस्थ है। अपने कर्तव्य से बिना पूर्व सूचना के अनुपस्थित रहने के कारण कार्यालय उपसंचालक कृषि द्वारा बारम्बार पत्र द्वारा सूचित किये जाने पश्चात भी वह कार्य मे उपस्थित नही हुए। उपरोक्त पत्रों की प्राप्ति के उपरांत भी कर्तव्य पर उपस्थित ना होने के कारण ऐसा स्पष्ट हुआ की प्रवीण कुमार रामटेके कार्य करने की इच्छुक नहीं है। ऐसे में उन्हे अतिंम सूचना द्वारा कार्य मे तत्काल उपस्थित होने की अनुशंसा की गई अन्यथा उनके विरूद्ध शासन को अनुशंसा पत्र जारी कर सेवा से पृथक करण की कार्यवाही की जावेगी।

  • क्वारंटाइन सेंटर से फरार हुए 7 लोग...मचा हड़कंप
    सूरजपुर: छत्तीसगढ़ में एक ओर जहां कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, तो वहीं दूसरी ओर क्वारंटाइन सेंटरों से अलग-अलग घटनाएं सामने आ रही है। आज भी सूरजपुर जिले के एक क्वारंटाइन सेंटर से 7 लोगों के फरार होने की खबर सामने आई है। मामले की जानकारी होने के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है। बता दें कि इसी क्वारंटाइन में बीते दिनों कोरोना संक्रमित मरीज की पुष्टि की गई थी।
  • जशपुरनगर : क्वारेंटाईन सेंटर में 3858 श्रमिकों को रखा गया है : पुरूष 3368 एवं 490 महिलाएं शामिल है

    कलेक्टर  महादेव कावरे के निर्देशन में जशपुर जिले में विभिन्न विकासखंडों में लगभग 699 क्वारेंटाईन सेंटर बनाया गया है। क्वारेंटाईन सेंटर में लगभग 3858 श्रमिकों, मजदूरों यात्रियों को रखा गया है। जिसमें पुरूषों की संख्या 3368 एवं महिलाओं की संख्य 490 शामिल है। इनमें जशपुर विकासखंड के 58 क्वारेंटाईन सेंटर में 227 लोगों को रखा गया हैं। इसी प्रकार मनोरा के 57 क्वारेंटाईन सेंटर में 182 लोगों को, दुलदुला विकासखंड के 90 क्वारेंटाईन सेंटर में 390 लोगों को, कुनकुरी विकासखंड के 153 क्वांरेंटाईन सेंटर में 798 लोगों को, फरसाबहार विकासखंड के 55 क्वारेंटाईन सेंटर में 842 लोगों को कासंाबेल विकासखंड के 55 क्वारेंटाईन सेंटर में 364 लोगों को, पत्थलगांव विकासखंड के 128 क्वारेंटाईन सेंटर में 529 लोगों को एवं बगीचा विकासखंड के 103 क्वारेंटाईन सेंटर में 526 लोगों को रखा गया है।
    कलेक्टर श्री कावरे के निर्देश पर एसडीएम, जनपद सीईओ और नगरीय निकाय के अधिकारियों द्वारा क्वारेंटाईन सेंटर में पानी, बिजली, शौचालय, भोजन के साथ बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही उनका स्वास्थ्य परीक्षण एवं निंग कराई जा रही है। इसके बाद 14 दिनों के क्वारेंटाईन अवधि में उन्हें रखा जा रहा है। इस दौरान मेडिकल टीम के द्वारा उनकी सतत् निगरानी की जा रही है।

  • जशपुरनगर : 28 जून रविवार को जिले में रहेगा पूर्ण लॉकडाउन

    कलेक्टर  महादेव कावरे ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव एवं रोकथाम हेतु 28 जून 2020 दिन रविवार को सम्पूर्ण लोॅकडाउन रखने का आदेश जारी किया है। 13 जून को जारी आदेश में दिए गए अनुमति वाले समस्त दुकान, व्यवसायिक प्रतिष्ठान एवं अन्य प्रतिष्ठान सोमवार से शनिवार तक प्रातः 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक सोशल डिस्टेंसिंग, फिजीकल एवं सामान्य निर्देश के पालन करते हुए संचालित होगी। समस्त दुकानों एवं प्रतिष्ठानों को संचालन के दौरान मास्क एवं सेनेटाईजर का उपयोग करना अनिवार्य होगा। 28 जून रविवार को लॉकडाउन के दौरान अस्पताल, मेडिकल शॉप, पेट्रोल पंप, दुग्ध डेयरी एवं गैस एजेंसियां ही खुली रहेंगी। कलेक्टर श्री कावरे ने कहा कि पूर्व में जारी अन्य निर्देश यथावत लागू रहेंगें।

  • बलौदाबाजार : गरीब महिला का जिला अस्पताल में सफल आपरेशन : गर्भाशय से निकाला गया डेढ़ किलो का गोलाकार सिष्ट

    जिला अस्पताल बलौदाबाजार में आज सेजा गांव की एक गरीब परिवार की महिला का सफल ऑपेरशन हुआ है। डॉक्टरों की टीम ने महिला के गर्भाशय से लगभग डेढ़ किलो वजन का गोल आकार का सिष्ट निकाला है। महिला के परिजन कोरोना संकट को देखते हुये इलाज को लेकर काफी सशंकित थे। जिला प्रशासन के निर्देश पर डॉक्टरों ने टीम भावना के साथ इस जोखिम पूर्ण ऑपेरशन को अंजाम दिया है। महिला स्वस्थ है और आपरेशन के बाद आगे की देखभाल अस्पताल में चल रही है। इससे कोरोना के संकटपूर्ण हालात में डीएमएफ की उपयोगिता भी सिद्ध हुई है, क्योंकि डीएमएफ के सौजन्य से सेवारत डॉक्टरों के नेतृत्व में इस जटिल ऑपेरशन को कामयाब किया गया है।

          मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ खेमराज सोनवानी ने बताया कि पीड़ित महिला का नाम जामबाई है। वह लगभग 32 साल उम्र की है। आरंग विकासखण्ड के पलारी से लगे ग्राम सेजा की है। जिला अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ एस. एस बाजपेई, डॉ ए. के.झंवर और महिला रोग विशेषज्ञ डॉ करुणा यादव ने सहयोगी स्टाफ की मदद से आज सवेरे आपरेशन कर महिला को नये जीवनदान दी है।बताया गया कि महिला के पेट में काफी दिनों से काफी दर्द था और उन्हें उल्टी हो रही थी। लगभग बेहोशी की हालात में उन्हें यहां अस्पताल लाया गया था। सोनोग्राफी रिपोर्ट में उनकी ओवरी में गोला होना पाया गया। चूंकि मरीज को काफी तकलीफ थी और उनकी जान बचाने के लिए तत्काल आपरेशन किया जाना जरूरी था। इसलिए जिला कलेक्टर श्री सुनील कुमार जैन के निर्देश पर डॉक्टरों ने तत्काल तैयारी कर इमरजेंसी ऑपेरशन किया और सिष्ट को निकाल बाहर किया। सिष्ट का वजन लगभग डेढ़ किलो वजन का था। ऑपेरशन के बाद महिला और उनके परिजनों को काफी राहत मिली है।

  • छत्तीसगढ़ लौटे अब तक 5.34 लाख प्रवासी श्रमिक और अन्य लोग : मनरेगा के तहत प्रदेश के 29.35 लाख मजदूरों को मिल रहा है काम

    21 कारखानों को पुनः प्रारंभ कर 1.10 लाख
    श्रमिकों को रोजगार

         

    मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल की पहल पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों, बसों एवं अन्य माध्यमों से अब तक 5 लाख 34 हजार प्रवासी श्रमिक और अन्य लोग सकुशल छत्तीसगढ़ लौट चुके हैं। इनमें 103 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यमों से छत्तीसगढ़ पहुंचे एक लाख 50 हजार से अधिक श्रमिक भी शामिल हैं। गृहराज्य लौटने पर प्रवासी श्रमिकों ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया है। गृह राज्य लौटने पर इन श्रमिकों को स्वास्थ्य विभाग की गाईड लाईन अवधि तक क्वारेंटाईन के बाद मनरेगा के तहत रोजगार भी दिया जा रहा है। 25 जून की स्थिति में प्रदेश के 29 लाख 35 हजार मजदूरों को मनरेगा से काम मिल रहा है। इसके अतिरिक्त श्रम विभाग द्वारा प्रदेश के छोटे-बड़े 1521 कारखानों को पुनः प्रारंभ कर एक लाख 10 हजार से अधिक श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है।    
        उल्लेखनीय है कि नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण देश के अन्य राज्यों में छत्तीसगढ़ के लाखों मजदूर एवं अन्य लोग फंसे हुए थे। राज्य सरकार द्वारा इन श्रमिकों को सुरक्षित छत्तीसगढ़ लाने के लिए बनायी गई कारगर रणनीति, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और बसों की व्यवस्था और अधिकारियों की मुस्तैदी से इन श्रमिकों को सकुशल छत्तीसगढ़ वापस लाया जा रहा है।
             श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अन्य प्रदेशों से श्रमिकों की सुरक्षित वापसी के लिए भवन एवं अन्य सन्ननिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा अब तक 4 करोड़ 65 लाख रेल मण्डलों को और बसों पर खर्च किए गए हैं।
             उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में अन्य राज्यों से वापस लौटे इन प्रवासी श्रमिकों को राज्य शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत रोजगार दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसे प्रवासी श्रमिक जिनका मनरेगा के तहत जॉब कार्ड नहीं बना है, उनका भी जॉब कार्ड बनाकर रोजगार देने का प्रावधान किया गया है। उन्हें निःशुल्क राशन भी दिया जा रहा है। मनरेगा के तहत करीब 29 लाख से अधिक मजदूरों को रोजगार मिल रहा उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य के भीतर अन्य जिलों सेे 15 हजार 767 श्रमिकों को सकुशल उनके गृह जिला भिजवाया गया है, वहीं छत्तीसगढ़ में रूके अन्य राज्यों के 28 हजार 450 श्रमिक सुरक्षित वापस अपने गृह राज्य जा चुके हैं। छत्तीसगढ़ से श्रमिक स्पेशल ट्रेन के माध्यम से 882 श्रमिकों को उत्तरप्रदेश भेजा गया। राज्य कर्मचारी बीमा सेवाएं (ईएसआई) के द्वारा संचालित 42 क्लीनिकों के माध्यम से लगभग 99 हजार श्रमिकों को निःशुल्क इलाज एवं दवाएं उपलब्ध कराया गया।

  •  बिरहोरों के आसमान पर खिला भोर का तारा : नियमित स्कूल जाकर पहली बच्ची बारहवीं पास

    हायरसेकंडरी में किसी बिरहोर बच्ची की पहली सफलता के साथ ही छत्तीसगढ़ की इस अत्यंत पिछड़ी जनजाति के आसमान में भी भोर का तारा खिल उठा है। जशपुर जिले के झरगांव की निर्मला ने नियमित छात्रा के रूप में 58 प्रतिशत अंकों के साथ सफलता का परचम लहराया है। झरगांव, दुलदुला विकासखंड का छोटा सा गांव है। इस पूरे क्षेत्र में बिरहोर जनजाति छिटपुट निवास करती है। जशपुर के अलावा यह जनजाति सरगुजा संभाग के अन्य जिलों में भी जंगलों और पहाड़ों के बीच निवासरत है। जंगल से ही चलने वाली आजीविका और पीढ़ियों से विरासत में मिले अभावों के बीच किसी बच्ची की शिक्षा के प्रति यह ललक बदलाव का संकेत भी है, और उम्मीदें भी। निर्मला के मामले में यह भी खास है कि उसने पहली से लेकर बारहवीं तक नियमित पढ़ाई करके यह उपलब्धि हासिल की है। समुदाय में बच्चियों की कम उम्र में ही शादी कर देने की प्रथा के कारण, उन्हें बीच में ही पढ़ाई छोड़ देनी पड़ती है। वे परिवार की आजीविका के रोजमर्रा में उलझकर रह जाती हैं। निर्मला के परिवार की आर्थिक स्थिति भी दूसरे बिरहोर परिवारों की तरह बेहद कमजोर हैं। उसके माता-पिता परिवार चलाने के लिए वनोपज संग्रहण करने के अलावा मजदूरी भी करते हैं। निर्मला इसे अपनी खुशनसीबी मानती है कि उसकी शिक्षा के बारे में उसके पिता न केवल जागरूक हैं, बल्कि उसे आगे की पढ़ाई करने के लिए भी प्रोत्साहित करते रहते हैं। निर्मला कहती हैं - वे मुझे कॉलेज भेजना चाहते हैं, और मैं खूब पढ़-लिखकर उनका सपना जरूर पूरा करूंगी। निर्मला का कहना है कि उनके जैसे गरीबों के लिए कॉलेज के बारे में सोचना ही बड़ी बात है, क्योंकि उन्हें पता नहीं होता कि लड़कियों की पढ़ाई के लिए सरकार क्या-क्या सुविधाएं दे रही है। अब तो छत्तीसगढ़ में कोई भी लड़की कॉलेज तक निःशुल्क शिक्षा प्राप्त कर सकती है। निर्मला के पिता कुंवरराम अपनी बच्ची की सफलता से गदगद हैं। वे कहते हैं कि निर्मला जितना पढ़ेगी, पढ़ाउंगा। 

        बिरहोर जनजाति छत्तीसगढ़ की उन अत्यंत पिछड़ी जनजातियों में से एक है, जिनके कल्याण के लिए राज्य शासन द्वारा विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन्हीं में से एक उन तक शिक्षा की रौशनी पहुंचाना। निर्मला का परीक्षा परिणाम आने के बाद बिरहोर समाज के अध्यक्ष जगेश्वर सिंह यह खुशखबरी लेकर कलेक्टर के पास जब जशपुर पहुंचे थे, तब निर्मला भी साथ थी। कलेक्टर ने निर्मला को मिठाई खिलाकर उसकी उपलब्धि के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं।

  •   देश आज जितना डरा हुआ और विभाजित है ऐसा कभी नहीं था: रविन्द्र चौबे
    देश आज जितना डरा हुआ और विभाजित है ऐसा कभी नहीं था: रविन्द्र चौबे • बृजमोहन रमन सिंह सरकार के समय को भी याद कर लें • लोकतंत्र की हत्या में लगे हुए हैं मोदी और शाह रायपुर/26 जून 2020। छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को आपातकाल पर बयान देने से पहले आईने में सच्चाई देखनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि आज देश जिस दौर से गुज़र रहा है उससे बुरी स्थिति में आज़ादी के बाद से कभी नहीं गुज़रा. यह ऐसा समय है जब पत्रकार से लेकर अदालतों तक सब डरे हुए हैं और देश जितना आज विभाजित है उतना कभी नहीं था. कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा है कि यह ऐसा समय है जब देश में लोकतंत्र का अपहरण हो चुका है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबसे बड़े ख़तरे में है. उन्होंने कहा है कि प्रेस की स्वतंत्रता के इंडेक्स में भारत नीचे लुढ़ककर 142 वें स्थान पर पहुंच चुका है और पाकिस्तान से बस दो पायदान ऊपर है. अदालतों की हालत यह है कि सारी अदालतें डरी हुई हैं और पहली बार हुआ है कि न्यायाधीशों को बाहर निकलकर प्रेस के सामने आना पड़ा. एक न्यायाधीश की हत्या हो गई और उसकी जांच तक नहीं हुई। देश में दलितों और अल्पसंख्यकों की मॉब लिंचिंग से लेकर धर्म विशेष के लोगों के प्रति घृणा के वातावरण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा है कि जब देश में प्रधानमंत्री कपड़ों से लोगों की पहचना की बात कर रहे हों तो अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि किस तरह का माहौल देश में है. उन्होंने कहा है कि दिल्ली के जामिया मिलिया और जेएनयू के छात्रावासों में खुले आम गुंडागर्दी के बाद जिस तरह से लीपापोती की गई वह भी इस डरावने समय को रेखांकित करता है. दिल्ली में जो दंगे हुए उसके पीछे भी भाजपा नेता थे लेकिन कोरोना के संकटकाल में भी गिरफ़्तारी दूसरों की होती रही, आरोप पत्र में नाम सामाजिक कार्यकर्ताओं के आते रहे। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा है कि बृजमोहन अग्रवाल केंद्र में अपनी सरकार की छवि के बारे में विचार कर लेते तो अच्छा था जो लोकतंत्र की हत्या करने पर तुली हुई है. उन्होंने कहा है कि चंद उद्योगपतियों को बढ़ावा देकर अर्जित धन से राज्य दर राज्य विधायकों की ख़रीदफ़रोख़्त में लगी नरेंद्र मोदी और अमित शाह की सरकार दरअसल लोकतंत्र की अब तक की सबसे घातक सरकार है. तानाशाही का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि चार घंटे में आप नोटबंदी कर देते हैं और चार घंटों में देश को लॉकडाउन की विभीषिका में धकेल देते हैं। बृजमोहन अग्रवाल के बयान पर उन्होंने कहा है कि बृजमोहन अग्रवाल को अपनी याददाश्त पर ज़ोर देकर सोचना चाहिए कि उनके मंत्री रहते रमन सिंह की सरकार ने पत्रकारों पर कैसे कैसे अत्याचार किए. उन्हें याद न हो तो एडिटर्स गिल्ड की बस्तर पर रिपोर्ट पढ़ लेनी चाहिए. उन्हें याद करना चाहिए कि कैसे उनके अफ़सरों ने प्रदेश में डर का एक माहौल बना रखा था जिसमें हर कोई डरा हुआ था और अधिकारी तक यह कहते थे कि वे फ़ोन पर बात करने से डरते हैं।