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  • JP Nadda
    JP Nadda 05-Jun-2018

    Kendriy Mantri JP Nadda Pahunche Raipur

  • सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने इस क्रिकेटर से मांगी माफी, जान लें क्या है वजह संसद में तीसरे सप्ताह भी गतिरोध बना हुआ है

    नई दिल्ली: संसद में तीसरे सप्ताह भी गतिरोध बना हुआ है और इस बीच तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) व वाईएसआर कांग्रेस द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के लिए दी गई नोटिसों पर सोमवार को चर्चा शुरू नहीं हो सकी. इससे पहले शुक्रवार को नोटिस दिया गया था और मंगलवार को दोनों पार्टियां एक बार फिर से अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर नोटिस देंगी. सोमवार को लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि सदन में व्यवस्था नहीं होने के कारण अविश्वास प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. वहीं सदन में मौजूद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार है और सभी दल सहयोग दें.
    सरकार ने राज्‍यसभा में फाइनेंस बिल भी लिस्‍टेड किया है, जबकि 11 दिनों से हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही नहीं चल सकी है. इससे पहले सरकार इस बिल को लोकसभा में हंगामे के बावजूद पास करा चुकी है. सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही  एक घंटे स्थगित होने के बाद सदन की बैठक दोपहर 12 बजे दोबारा शुरू हुई. लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने प्रस्ताव के नोटिस सदन पटल पर रखने को कहा, ताकि इस पर चर्चा शुरू की जा सके. प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए इसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन होना चाहिए. लेकिन जैसा कि पिछले दो सप्ताह से हो रहा है. ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) और टीआरएस सदस्यों ने अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी और वे अध्यक्ष के आसन के पास इकट्ठा हो गए.
    कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सहित कई विपक्षी दलों ने इन नोटिसों पर अपना समर्थन जताया. लोकसभा अध्यक्ष ने सदस्यों से खड़े होने को कहा, ताकि प्रस्ताव के समर्थक सदस्यों को गिना जा सके. इस दौरान टीआरएस और अन्नाद्रमुक के सांसद हाथों में तख्तियां लिए लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इकट्ठा हो गए. महाजन ने कहा कि जो लोग खड़े हैं, वह उन्हें नहीं गिन पा रही हैं. उन्होंने कहा, "कृपया अपनी-अपनी सीटों पर जाएं. यदि सदन व्यवस्थित नहीं है तो ऐसे में मैं नोटिसों पर चर्चा शुरू नहीं करा सकती."
    इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार है. राजनाथ ने कहा, "हम किसी भी तरह की चर्चा के लिए तैयार हैं. हम अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए भी तैयार हैं. मैं सभी राजनीतक दलों से सहयोग की अपील करता हूं."
    केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले संवाददाताओं को बताया, "हम अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि सदन में हमारे पास समर्थन है. हम आश्वस्त हैं." तेदेपा के सांसद थोटा नरसिम्हन ने कहा कि पार्टी सदस्य पहले सदन में प्रस्ताव पेश करने पर जोर देंगे. उन्होंने कहा कि तेदेपा ने तृणमूल, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित विपक्षी दलों से बात कर ली है.
    तेदेपा के एक अन्य सांसद आर.एम.नायडू ने कहा कि वे संसद में यथासंभव विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, यह जानते हुए कि सरकार के पास पर्याप्त संख्या होने की वजह से यह अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा. नायडू ने कहा, "सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि वे हमारा समर्थन करें. हम इस पर यथासंभव समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि इस पर चर्चा हो सके. हम सरकार गिराने की कोशिश नहीं कर रहे हैं."
    मौजूदा समय में लोकसभा में 539 सदस्य हैं, जिसमें से भाजपा के 274 सांसद हैं, जो अविश्वास प्रस्ताव गिराने के लिए आवश्यक 270 से अधिक है. भाजपा के पास शिवसेना और अकाली दल जैसी सहयोगी पार्टियों का भी समर्थन है. शिवसेना ने अभी अविश्वास प्रस्ताव पर अपने पत्ते नहीं खोलने का फैसला किया है.(साभार NDTV)

  • आज लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ तीसरी बार पेश होगा अविश्वास प्रस्ताव,

    नई दिल्ली: संसद में तीसरे सप्ताह भी गतिरोध बना हुआ है और इस बीच तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) व वाईएसआर कांग्रेस द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के लिए दी गई नोटिसों पर सोमवार को चर्चा शुरू नहीं हो सकी. इससे पहले शुक्रवार को नोटिस दिया गया था और मंगलवार को दोनों पार्टियां एक बार फिर से अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर नोटिस देंगी. सोमवार को लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि सदन में व्यवस्था नहीं होने के कारण अविश्वास प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. वहीं सदन में मौजूद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार है और सभी दल सहयोग दें.
    सरकार ने राज्‍यसभा में फाइनेंस बिल भी लिस्‍टेड किया है, जबकि 11 दिनों से हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही नहीं चल सकी है. इससे पहले सरकार इस बिल को लोकसभा में हंगामे के बावजूद पास करा चुकी है. सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही  एक घंटे स्थगित होने के बाद सदन की बैठक दोपहर 12 बजे दोबारा शुरू हुई. लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने प्रस्ताव के नोटिस सदन पटल पर रखने को कहा, ताकि इस पर चर्चा शुरू की जा सके. प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए इसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन होना चाहिए. लेकिन जैसा कि पिछले दो सप्ताह से हो रहा है. ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) और टीआरएस सदस्यों ने अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी और वे अध्यक्ष के आसन के पास इकट्ठा हो गए.
    कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सहित कई विपक्षी दलों ने इन नोटिसों पर अपना समर्थन जताया. लोकसभा अध्यक्ष ने सदस्यों से खड़े होने को कहा, ताकि प्रस्ताव के समर्थक सदस्यों को गिना जा सके. इस दौरान टीआरएस और अन्नाद्रमुक के सांसद हाथों में तख्तियां लिए लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इकट्ठा हो गए. महाजन ने कहा कि जो लोग खड़े हैं, वह उन्हें नहीं गिन पा रही हैं. उन्होंने कहा, "कृपया अपनी-अपनी सीटों पर जाएं. यदि सदन व्यवस्थित नहीं है तो ऐसे में मैं नोटिसों पर चर्चा शुरू नहीं करा सकती."
    इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार है. राजनाथ ने कहा, "हम किसी भी तरह की चर्चा के लिए तैयार हैं. हम अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए भी तैयार हैं. मैं सभी राजनीतक दलों से सहयोग की अपील करता हूं."
    केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले संवाददाताओं को बताया, "हम अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि सदन में हमारे पास समर्थन है. हम आश्वस्त हैं." तेदेपा के सांसद थोटा नरसिम्हन ने कहा कि पार्टी सदस्य पहले सदन में प्रस्ताव पेश करने पर जोर देंगे. उन्होंने कहा कि तेदेपा ने तृणमूल, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित विपक्षी दलों से बात कर ली है.
    तेदेपा के एक अन्य सांसद आर.एम.नायडू ने कहा कि वे संसद में यथासंभव विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, यह जानते हुए कि सरकार के पास पर्याप्त संख्या होने की वजह से यह अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा. नायडू ने कहा, "सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि वे हमारा समर्थन करें. हम इस पर यथासंभव समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि इस पर चर्चा हो सके. हम सरकार गिराने की कोशिश नहीं कर रहे हैं."
    मौजूदा समय में लोकसभा में 539 सदस्य हैं, जिसमें से भाजपा के 274 सांसद हैं, जो अविश्वास प्रस्ताव गिराने के लिए आवश्यक 270 से अधिक है. भाजपा के पास शिवसेना और अकाली दल जैसी सहयोगी पार्टियों का भी समर्थन है. शिवसेना ने अभी अविश्वास प्रस्ताव पर अपने पत्ते नहीं खोलने का फैसला किया है.(साभार NDTV)

  • प्रधानमंत्री मोदी ने मिस्र के विदेश मंत्री से की मुलाकात

    नई दिल्ली: भारत दौरे पर आये मिस्र के विदेश मंत्री समेह हसन शौकरी शुक्रवार को यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले। वह द्विपक्षीय संयुक्त आयोग की बैठक में हिस्सा लेने के लिए इस समय भारत की यात्रा पर हैं।
    एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत एवं मिस्र की साझा प्रतिबद्धता पर चर्चा की। बयान के अनुसार बैठक में बुनियादी ढांचा, व्यापार एवं निवेश और लोगों के बीच संबंधों जैसे क्षेत्रों में सहयोग गहराने पर चर्चा की गयी। मंत्री ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सिसी की तरफ से प्रधानमंत्री का अभिवादन भी किया।
    नई दिल्ली: विश्व के सबसे बड़े सोशल साईट फेसबुक पर भारत सरकार सख्त नजर आ रही है. फेसबुक डाटा चोरी मामले में सुचना एवं प्रसारण मंत्रलाय ने  कैंब्रिज एनालिटिका को नोटिस जारी कर 6 सवालों के जवाब 31 मार्च तक  मांगे है. सरकार के इस रुख को गोपनीयता और सोशल साइट्स में निजी जानकारियों के दुरुपयोग पर रोक लगाने की दिशा में कड़े कदम उठाने के रूप में देखा जा रहा है. 
    फेसबुक डाटा लीक मामले में सरकार ने कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी से सवाल पूछते हुए जानना चाहा है कि कंपनी ने कैसे यूजर्स के डाटा को कलेक्ट किया ? कैसे इसका इस्तेमाल किया ? तथा प्रयोगकर्ताओं की सहमति ली गई थी या नही ?  इसके साथ ही नोटिस में यह भी पूछा गया है कि देश की किन किन इकाइयों ने सेवाएं ली हैं ?

    बता दे कि कैंब्रिज एनालिटिका पर आरोप है कि उन्होंने फेसबुक से डाटा संग्रह कर अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में दुरपयोग कर चुनाव को प्रभावित करने की कोशिस की गई थी, इस मामले की खुलासा होते ही भारत में भी कई पार्टियों द्वारा उनसे सेवाएं लेने की बात सामने आ रही है जिससे भारत की राजनीति में खलबली मची हुई है.  दोनों प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियाँ कांग्रेस और भाजपा एक दुसरे पर कैंब्रिज एनालिटिका से सेवाएं लेने का आरोप लगा रहें है.  आशंका है कि उन डाटा का उपयोग आने वाले 2019 के लोक सभा चुनाव में भी कर सकती है.
    आज भारत में फेसबुक उपयोग कर्ताओं की संख्या लगभग 20 करोड़ से अधिक है. ऐसे में अगर इनसे जुड़ी जानकारी को कोई चुराता है और चुनाव में दुरुपयोग करते हुए चुनाव प्रभावित करने की कोशिस करता है तो यह गोपनीयता के साथ ही मतदान के तरीके को प्रभावित करने जैसा गंभीर मामला है. 

    केन्द्रीय सुचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस मामले में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को पहले ही चेतावनी जारी कर चुके है. सरकार ने इस मामले में कदम उठाते हुए  कैंब्रिज एनालिटिका  को नोटिस कर जवाब माँगा है. अब उसके जवाब आने के बाद ही सरकार इस दिशा में क्या कार्यवाही करती है यह स्पष्ट हो पायेगा.

  • फेसबुक डाटा लीक मामले में भारत सरकार ने कैंब्रिज एनालिटिका को नोटिस जारी कर पूछे 6 सवाल, 31 मार्च तक मांगे जवाब

    नई दिल्ली: विश्व के सबसे बड़े सोशल साईट फेसबुक पर भारत सरकार सख्त नजर आ रही है. फेसबुक डाटा चोरी मामले में सुचना एवं प्रसारण मंत्रलाय ने  कैंब्रिज एनालिटिका को नोटिस जारी कर 6 सवालों के जवाब 31 मार्च तक  मांगे है. सरकार के इस रुख को गोपनीयता और सोशल साइट्स में निजी जानकारियों के दुरुपयोग पर रोक लगाने की दिशा में कड़े कदम उठाने के रूप में देखा जा रहा है. 
    फेसबुक डाटा लीक मामले में सरकार ने कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी से सवाल पूछते हुए जानना चाहा है कि कंपनी ने कैसे यूजर्स के डाटा को कलेक्ट किया ? कैसे इसका इस्तेमाल किया ? तथा प्रयोगकर्ताओं की सहमति ली गई थी या नही ?  इसके साथ ही नोटिस में यह भी पूछा गया है कि देश की किन किन इकाइयों ने सेवाएं ली हैं ?

    बता दे कि कैंब्रिज एनालिटिका पर आरोप है कि उन्होंने फेसबुक से डाटा संग्रह कर अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में दुरपयोग कर चुनाव को प्रभावित करने की कोशिस की गई थी, इस मामले की खुलासा होते ही भारत में भी कई पार्टियों द्वारा उनसे सेवाएं लेने की बात सामने आ रही है जिससे भारत की राजनीति में खलबली मची हुई है.  दोनों प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियाँ कांग्रेस और भाजपा एक दुसरे पर कैंब्रिज एनालिटिका से सेवाएं लेने का आरोप लगा रहें है.  आशंका है कि उन डाटा का उपयोग आने वाले 2019 के लोक सभा चुनाव में भी कर सकती है.
    आज भारत में फेसबुक उपयोग कर्ताओं की संख्या लगभग 20 करोड़ से अधिक है. ऐसे में अगर इनसे जुड़ी जानकारी को कोई चुराता है और चुनाव में दुरुपयोग करते हुए चुनाव प्रभावित करने की कोशिस करता है तो यह गोपनीयता के साथ ही मतदान के तरीके को प्रभावित करने जैसा गंभीर मामला है. 

    केन्द्रीय सुचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस मामले में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को पहले ही चेतावनी जारी कर चुके है. सरकार ने इस मामले में कदम उठाते हुए  कैंब्रिज एनालिटिका  को नोटिस कर जवाब माँगा है. अब उसके जवाब आने के बाद ही सरकार इस दिशा में क्या कार्यवाही करती है यह स्पष्ट हो पायेगा.

  • एसटी/एससी एक्ट मामले में मोदी सरकार के दो सहयोगी मंत्रियों ने किया सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान, विपक्ष सहित एसटी/एससी संगठनो के विरोध के कारण भारी दबाव में मोदी सरकार लगा सकती है पुनर्विचार याचिका

    नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति और जनजातियों के बारे में  फैसले के खिलाफ मोदी सरकार में  केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बाद एक अन्य मंत्री रामदास अठावले ने भी इस मामले  लेकर अपनी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने का ऐलान किया है. 

    आपको बता दे कि महाराष्ट्र की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एसटी/एससी एक्ट के दुरुपयोग के कारण इस एक्ट में कई बदलाव करते हुए इन्हें सिथिल कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले आने के बाद प्रमुख विपक्षी पार्टियों सहित बसपा सपा और अन्य पार्टियों ने भी सरकार को दलित विरोधी करार दिया. विपक्षी पार्टियों के साथ ही सरकार के सहयोगी पार्टियों सहित बीजेपी के  एसटी एससी नेताओं ने इस पर  सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में मोदी सरकार में केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान और राज्य मंत्री रामदास अठावले इस मद्दे पर खुल कर सरकार के खिलाफ खड़े हो गये है. बताया जा रहा है कि सरकार इस मामले में कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रही है और जल्दी ही सरकार की तरफ से  रिव्यू पिटीशन दाखिल किया जा सकता है.
    केन्द्रीय राज्यमंत्री अठावले ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी से पहले उच्चाधिकारियों से अनुमति लेने की जो नई व्यवस्था की है वह गलत है. क्योंकि इससे गिरफ्तारी का डर खत्म हो जाएगा और दलितों पर अत्याचार बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इस एक्ट के तहत कुछ झूठे मामले दर्ज किए गए हों और कुछ मामलों में इस एक्ट का दुरुपयोग हुआ हो, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह एक दलितों के हितों की रक्षा करने में कामयाब रहा है. उन्होंने यह भी दावा किया सी एस सी, एस टी एक्ट अंतर्गत दर्ज होने वाली 99% घटनाएं सही होती हैं. अठावले ने कहा कि इस मामले में कोई दूसरे दलित नेताओं के साथ भी संपर्क में हैं ताकि सुप्रीम कोर्ट में जोरदार पैरवी की जा सके.