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  • कोण्डागांव : ‘किशनु‘ ने मत्स्य पालन से संवारी जीवन की डगर

    जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर स्थित ग्राम बोरगांव के 34 वर्षीय किशनु साहा की एक आम कृषक से एक सफल मत्स्य पालक होने की यात्रा चुनौतीपूर्ण रही और आज वे इस व्यवसाय की बदौलत प्रतिमाह लगभग 30 हजार रूपये की आमदनी अर्जित कर रहे हैं। मत्स्य पालन के व्यवसाय को अपनाने के संबंध में वे बताते हैं कि वे भी पहले एक आम कृषक की तरह लगभग अपने पांच एकड़ की जमीन में धान, मक्का एवं मिर्च, टमाटर की ही खेती करते थे परन्तु पिछले कुछ वर्षों में उन्हें अपेक्षित आमदनी नहीं हो रही थी साथ ही सब्जी इत्यादि फसलों के लिए अधिक से अधिक मजदूरों की भी जरूरत पड़ती थी फलस्वरूप फसलों की लागत निकल पाना भी मुश्किल हो जाता था। इसके अलावा सब्जी के बाजार भाव में उतार चढ़ाव होने से उनके सहीं मूल्य भी नही मिलते थे। अतः वर्ष 2017-18 में उन्होंने मछली पालन के क्षेत्र में उतरने का फैसला लिया क्योकि मत्स्य पालन में अधिक मजदूरों की आवश्यकता नहीं होती साथ ही इसका बाजार भाव भी संतोषजनक रहता है। इस प्रकार उन्होंने अपने 2.5 एकड़ की जमीन में तालाब खुदवाया। शुरूवात में इस नए व्यवसाय में उन्हें कुछ दिक्कतें भी आई वे बताते हैं कि शुरू-शुरू में उन्हें तालाब के सूखने, मछलियों के मरने और उनकी बढ़ोत्तरी न होने जैसी समस्याएं भी आई परन्तु लगन और इच्छाशक्ति से इसका उन्होंने शीघ्र समाधान निकाला। इस संबंध में मत्स्य विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन से इस प्रकार की समस्याएं कम होने लगी। चूंकि इस विभाग द्वारा उन्हें तालाब खुदवाने के लिए 50 हजार रूपये का अनुदान दिया गया था वे आज भी विभाग के बराबर सम्पर्क में रहते हैं। उनका यह भी मानना है कि मत्स्य विभाग के मार्गदर्शन में उन्होंने एक सहीं फैसला लिया है वरना वे सीमित भूमि एवं अपर्याप्त आय में ही गुजारा करने के लिए विवश होते और विभाग द्वारा जो सहयोग दिया गया है उसके लिए वे सदैव कृतज्ञ रहेंगे। बारहवीं तक पढ़े किशनु साहा यह भी कहते हैं कि भविष्य में वे पशुपालन के क्षेत्र में भी हाथ आजमाना चाहेंगे। मत्स्य पालन करने वाले इच्छुक किसानों को सलाह के संबंध में किशनु का कहना था कि मत्स्य पालन में कुछ मूलभूत जानकारी के बारे में सावधानी रखना बहुत जरूरी है जैसे जिस भूमि में तालाब खुदवाया जा रहा है वहां मिट्टी और पानी की जांच करवाना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर पानी सहीं नहीं रहेगा तो मछलियों की बढ़त पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा और दूसरा मुद्दा स्थानीय बाजार पर भी निर्भर करता है क्योंकि जिस प्रजाति की मछली की खपत ज्यादा होती है उसी का पालन करना चाहिए साथ ही मत्स्य पालन में आर्थिक पृष्ठभूमि प्रबंधन भी बेहतर होना चाहिए क्योंकि मछलियों के चारे में 75 प्रतिशत का खर्च होता है साथ ही मछलियों के डेटाबेस का रख-रखाव भी करना पड़ेगा क्योंकि उनके चारे, उनके रख-रखाव के खर्चे, मत्स्य बीज की जीविता प्रबंधन के बाद ही हम अपना लाभ और नुकसान को देख सकते हैं। अगर किसान अपने एक एकड़ में मत्स्य फार्म प्रारंभ करते हैं तो जैसे-जैसे मछलियों की खपत होगी तालाब भी बढ़ाना पड़ेगा। इस प्रकार इस व्यवसाय में दो-चार बातों का ध्यान रखा जाये तो यह एक सुरक्षित व्यवसाय है।

        किशनु साहा के तालाबों में तेलापिया, रोहू, इण्डियन कार्प, मृगल, कतला, आईएमसी डार्क जैसी प्रजातियों की मछलियों का पालन हो रहा है और इन मछलियों की बिक्री स्थानीय बाजारों के अलावा उड़ीसा राज्य के जिलों में भी होती है। इस कार्य के लिए उन्होंने दो व्यक्तियों को भी अपने मत्स्य फार्म में रोजगार उपलब्ध कराया है। कोण्डागांव जिले में मत्स्य पालन जैसी व्यवसायों के विकास के लिए आपार सम्भावनाएं है क्योंकि वर्तमान दौर में परम्परागत कृषि के अलावा कुछ नये व्यवसायों को भी अपनाने की जरूरत है। इसके लिए जागरूकता, सहीं जानकारी एवं परिस्थितियों के समझने की आवश्यकता है, सहीं भी है कि जब हम जीवन में बदलाव नहीं करेंगे तो कुछ भी नही बदलेगा। किशनु साहा जैसे सफल मत्स्य पालक पर यह उक्ति सटीक बैठती है निश्चित ही उन्होंने बदलाव को अपनाया और इसका साकारात्मक परिणाम उनके जीवन में परिलक्षित हुआ।

  • मुंगेली : नल जल की स्थापना से ग्राम बिरगांव के ग्रामीण हर्षित

    जिले के विकास खण्ड मुंगेली के ग्राम बिरगांव में नल जल की स्थापना से ग्रामीणों में हर्ष व्याप्त है। यहां के ग्रामीणों को अब शुद्ध पेयजल के लिए अन्यत्र नहीं जाना पड रहा है। उन्हे उनके गांव में ही शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो रहा है। वर्ष 2018 में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्लूपी) के अंतर्गत 44 लाख 45 हजार रूपये की लागत से नल जल योजना की स्वीकृति दी गई थी। नल जल योजना का कार्य एक वर्ष में ही पूरा कर लिया गया है। इससे लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि नल जल योजना प्रारंभ होने के पूर्व अन्य स्थानों से पेयजल प्राप्त किया जाता था। शुद्ध पेयजल प्राप्त नहीं होने के कारण परेशानियों का सामना करना पडता था। कई लोग बीमार भी पड़ जाते थे। अब ग्राम में ही नल जल योजना के प्रारंभ होने से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल  उपलब्ध हो रहा है। उन्हे शुद्ध पेयजल के लिए अन्यत्र नहीं जाना पड रहा है। इससे वे खुश है।

  • सार्वभौम पीडीएस से खाद्यान्न वितरण के साथ कुपोषण से मुक्ति

    छत्तीसगढ़ शासन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं वाली योजना सार्वभौम पीडीएस के माध्यम से प्रदेश में अत्यंत गरीब परिवार से लेकर सामान्य वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए भी खाद्यान्न सामग्री, शक्कर, रिफांईड नमक, चना एवं केरोसिन का वितरण किया जा रहा है। कोण्डागांव जिल में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के द्वारा कुपोषण मुक्ति के लिए फोर्टिफाइड चावल का वितरण किया जा रहा है। फोर्टिफाइड चावल राज्य के अन्य जिले में भी प्रदाय किया जाएगा। गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले में संचालित 180 शासकीय उचित मूल्य दुकानों के माध्यम 3 लाख 27 हजार 665 राशनकार्ड सदस्यों को खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है। जिले में खाद्यान्न वितरण के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
         खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के अंतर्गत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के बी.पी.एल. श्रेणी के एक लाख एक हजार 981 एवं ए.पी.एल. पांच हजार 677 कुल एक लाख 7 हजार 658 राशनकार्डधारियों को लगभग 32 हजार 911 क्विंटल चावल, एक हजार 14 क्ंिवटल शक्कर, दो हजार 28 क्ंिवटल रिफाईंड नमक, दो हजार 28 क्विंटल चना एवं 72 किलो लीटर केरोसिन उपलब्ध कराया जा रहा है। जिले में प्रचलित विभिन्न रंगों के कार्डो पर पात्रतानुसार खाद्यान्न सामग्री यथा पीले रंग के अत्योदय कार्ड पर 35 किलो चावल, लाल रंग के प्राथमिकता कार्ड पर प्रति सदस्य 10 किलो, 2 सदस्य पर 20 किलो, 3 से 5 सदस्य पर 35 किलो एवं 5 से अधिक सदस्य होने पर प्रति सदस्य 7 किलो अतिरिक्त चावल एक रूपए प्रति किलो चावल जिसमें 10 किलो निःशुल्क प्रदाय किया जाता है। स्लेटी रंग के निराश्रित एवं काले रंग के निःशक्तजन के कार्ड पर 10-10 किलो ग्राम निःशुल्क चावल उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी प्रकार सामान्य वर्ग के ए.पी.एल. कार्ड पर 10 किलो चावल प्रति सदस्य 10 रूपए प्रति किलो की दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अतिरिक्त पात्रतानुसार शक्कर एक किलो प्रति कार्ड, 17 रूपए प्रति किलो दर पर रिफांईड नमक, 2 किलो प्रति कार्ड निःशुल्क चना 2 किलो प्रति कार्ड 5 रूपए प्रति किलो दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है। जिले के कार्डधारियों को केरोसिन तेल भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

  • नक्सलियों ने लगाया था 5 किलो का IED बम...सुरक्षा बल के जवानों ने सफलता पूर्वक किया डिफ्यूज
    बीजापुर। एक बार फिर नक्सलियों के नापाक इरादों पर सुरक्षा बल के जवानों ने पानी फेर दिया। जिला के बासागुड़ा थाना क्षेत्र में जवानों ने सर्चिंग के दौरान 5 आईईडी बम बरामद किया है। नक्सलियों ने जवानों को नुक्सान पहुँचाने के लिए यह बम लगाया था। जिसे डिफ्यूज स्कॉट की मदद से निष्क्रिय कर दिय गया है। जानकारी के मुताबिक नक्सलियों ने तररेम-सिलगेर मार्ग में निर्माणाधीन सड़क से 50 मीटर दूर जंगल में आईईडी प्लांट किया था। जिससे सर्चिंग में निकले जवानों ने बरामद किया और उसे डिफ्यूज कर दिया है।
  • BREAKING : सुरक्षाबलों को बम से उड़ाने की फिराक में थे माओवादी, जवानों ने मंसूबों पर फेरा पानी
    बीजापुर : जिले में नक्सलियों के मंसूबों पर जवानों ने एक बार फिर पानी फेर दिया है. सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाए गए IED बम को जवानों ने बरामद कर डिफ्यूज कर दिया है. क्षेत्र में हो रहे विकासकार्यों से नक्सली बौखलाए हुए हैं. जानकारी के मुताबिक, माओवादियों ने तर्रेम से सिलगेर जाने वाले रास्ते में पटेलपारा के पास सड़क से 50 मीटर अंदर 5 किलो का आईईडी लगा रखा था. दरअसल इलाके में सड़क निर्माण का कार्य काफी तेजी से चल रहा है, लेकिन नक्सली नहीं चाहते कि इलाके में रोड बने. यही वजह है कि नक्सली जवानों को नुकसान पहुंचाने इस प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं.
  • नारायणपुर : दूरस्थ वनांचल नारायणपुर में जीवन बनकर दौड़ रही बाइक एम्बुलेंस, 666 हितग्राही हुए लाभान्वित  गर्भवती माताओं के लिए बाइक एम्बुलेंस हो रही वरदान साबित

    नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले का एक बड़ा हिस्सा विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण आज भी मुख्य मार्ग से नहीं जुड़ पाया है। अबूझमाड़ वह क्षेत्र है, जहां वनांचल और  नदी-नाले बहुत हैं। यही कारण है कि लोगों को शासन की मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। स्वास्थ्य सेवाओं की सरलता से उपलब्धता को ध्यान में रखकर बाइक एम्बुलेंस का प्रयोग किया गया। जिले में शुरूआती दौर में पहले दो बाइक एम्बुलेंस अंदरूनी ईलाकों के छोटे नदी-नालों, पगडंडियों, उबड़-खाबड़ रास्तों में दौड़ायी गयी, जो सफल हुई। इसकी सफलता को देखकर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करने के लिए मोटर बाईक एम्बुलेंस की सेवाओं का विस्तार किया है। इस वर्ष खनिज न्यास निधि से 4 नई मोटर बाईक एम्बुलेंस स्वास्थ्य विभाग को दी है। जिससे अंदरूनी क्षेत्र के मरीजों को स्वास्थ्य केन्द्रों तक लाने-ले-जाने में सुविधा होगी।
        विषेष पिछड़ी जनजाति माड़िया बाहुल्य ओरछा विकासखण्ड के सुदूर और दुर्गम वनांचल में रहने वाले बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए बाईक एम्बुलेंस वरदान साबित हो रही है। प्रसव पीड़ा गर्भवती महिलाओं के लिए कठिन समय होता है और यह उनके जीवन-मरण का काल बन सकता है। अंदरूनी ईलाके के ऐसे गांव जहां बड़ी एम्बुलेंस न पहुंच पाये या सड़क मार्ग न हो उन जगहों की महिलाओं को प्रसव काल में मुसीबत से उबारा जा सके, इसके लिए जिले में बाइक एम्बुलेंस का सहारा लिया जा रहा है। यह प्रसव काल में महिलाओं के लिए वरदान से कम नहीं है।  
    बता दें कि बाईक एम्बुलेंस की सेवाएं मिलने से अब तक 666 मरीजों को इस सुविधा का सीधा लाभ मिला है। बाईक एम्बुलेंस के माध्यम से वनांचल क्षेत्र के गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए स्वास्थ्य केन्द्र तक लाया जाता है तथा शिशुवती माताओं को प्रसव के बाद सुरक्षित घर पहुंचाया भी जाता है। इसके साथ ही गर्भवती माताओं को नियमित स्वास्थ्य परीक्षण, बच्चों का टीकाकरण एवं मौसमी बीमारियों के उपचार के लिए भी बाईक एम्बुलेंस का उपयोग किया जाता हैं। बाईक एम्बुलेंस के आने से षिषु एवं मातृ मृत्युदर में भी कमी आई है।

  • धमतरी : गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी संबंधी बैठक 05 जनवरी को

    आगामी 26 जनवरी को आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी संबंधी बैठक 05 जनवरी को आहूत की गई है। कलेक्टोरेट से मिली जानकारी के मुताबिक यह बैठक समय सीमा के पत्रों की समीक्षा बैठक के बाद कलेक्टोरेट सभाकक्ष में आयोजित की गई है।

  • बिलासपुर में बदमाश की गोली मारकर हत्या; 3 दिन पहले हुए विवाद में दोस्त ने ही ले ली जान
    बिलासपुर। बिलासपुर में सोमवार रात बदमाश बिल्लू श्रीवास की गोली मारकर हत्या कर दी। बदमाश को तीन गोलियां मारी गईं। उसे लेकर अपोलो अस्पताल पहुंचे, लेकिन उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि बिल्लू की उसके ही साथी संजय पांडेय ने हत्या की है। दोनों के बीच तीन दिन पहले विवाद हुआ था। मामला तोरवा थाना क्षेत्र के लालखदान का है। जानकारी के मुताबिक, लालखदान निवासी बिल्लू श्रीवास उर्फ सुनील (40) आदतन अपराधी था। सोमवार शाम वह अपने साथी नागेंद्र राय के साथ घूमने गया था। रात करीब 8 बजे वह लौटा और कार से उतरकर घर के अंदर जाने लगा। आरोप है कि तभी बाइक सवार लालखदान निवासी संजय पांडेय ने बिल्लू पर 3 फायर किए। बताया जा रहा है सीने में दो और एक गोली बिल्लू की पीठ में लगी थी।
  • छग के ग्राम पंचायतों में लटकेगा 30 दिसंबर से ताला, रोजगार सहायक जाएंगे हड़ताल पर
    डौंडीलोहारा। छग सरकार की वादा खिलाफी व बेरुखी से परेशान ग्राम रोजगार सहायक 30 दिसम्बर से काम बन्द कलम बन्द अनिश्चित कालीन हड़ताल में चले जाएंगे। पंचायत सचिव संघ भी अनिश्चित कालिन आंदोलन कर रहा है। अब रोजगार सहायक भी हड़ताल पर जा रहे है जिससे ग्राम पंचायतों में ताला बंदी कि स्थिति निर्मित हो गयी है। रोजगार सहायकों ने चलाया था संवाद पत्राचार कार्यक्रम छग ग्राम रोजगार सहायक संघ के आवाहन पर छग के समस्त विधायको,सांसदों,त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को अपनी मांगों के समर्थन हेतु संवाद पत्राचार अभियान चलाकर ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों से अवगत कराया। बहुत से सांसद विधायको ने बाकायदा अपने लेटरपेड में मांगो का समर्थन में मुख्यमंत्री जी को पत्र भी लिखा।लेकिन नतीजा शून्य रहा। पंचायत मंत्री जी से वार्ता हुई फेल छग ग्राम रोजगार सहायक संघ का प्रांतीय प्रतिनिधि मण्डल भी पंचायत मंत्री माननीय टी एस सिहदेब से लगातार संपर्क कर अपनी मांगों से अवगत करवाया लेकिन 2 वर्षों से सिर्फ आश्वासन ही दिया।पिछले दिनों संघ के प्रतिनधि मण्डल को रोजगार सहायकों जे मांग के विषय मे पंचायत मंत्री जी ने कोई स्पष्ट आश्वसन और अपेक्षित सहयोग न मिलने से रोजगार सहायकों ने हड़ताल की घोषणा कर दी। रोजगार सहायकों की प्रमुख मांग 14-15वर्षों से संविदा पर कार्यरत ग्राम रोजगार सहायकों को उनके सेवा के बदले सिर्फ 5000-6000 रुपये मानदेय दिया जाता है।जबकि मनरेगा के समस्त अधिकारी कर्मचारियों को वेतनमान दिया जाता है। जबकि रोजगार सहायकों द्वारा करवाये गए कार्यों के खर्च से मिलने वाली कन्टेंजेन्सी राशि से ही सभी अमले को वेतन मिलता है।अगर रोजगार सहायक मानव दिवस जनरेट कर खर्च नहि करेंगे तो किसी भी कर्मचारी को वेतन नहि दिया जा सकता।क्योंकि मनरेगा में इस निधि से मिलने वाले 6 प्रतिशत राशि से ही सभी स्तर के कर्मचारियों के लिए वेतन का प्रावधान है। प्रमुख मांग 1.वेतनमान निर्धारण नियमितीकरण। 2.पंचायत सचिव पद पर शत प्रतिशत सीधी भर्ती।रोजगार सहायकों को सहायक सचिव घोषित करने। 3.नगरीय निकाय में सम्मिलित ग्राम पंचायतों के रोजगार सहायकों को उसी निकाय में समायोजित करने छग है मनरेगा में विभिन्न श्रेणियों में अव्वल मनरेगा प्रारंभ से लेकर आज दिनांक तक मनरेगा अंतर्गत छग हमेशा किसी न किसी श्रेणी में अव्वल रहता है।फिर चाहे 100 दिन कार्य उपलब्ध करवाना हो,कोरोना काल मे रोजगार उपलब्ध करवाने में ही क्यों न हो।इसमें मैदानी स्तर पर ग्राम रोजगार सहायकों की मेहनत से ही सम्भव होता रहा है
  • BREAKING : संदिग्ध हालत में मिला नाबालिग युवती का शव… इलाके में फैली सनसनी… जांच में जुटी पुलिस
    गरियाबंद। देवभोग थाना क्षेत्र के कैथपदर ग्राम में एक नाबालिग लड़की का शव घर के कमरे में मिलने से सनसनी फैल गई . मृतका के पिता ने सुबह पुलिस को घटना की जानकारी दी . सूचना के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंच कर मामले की जांच शुरू कर दी है. नाबालिग के गले में नाखून के निशान देखकर परिजनों ने हत्या की आशंका जताई है . ग्रामीणों ने पुलिस को गांव के ही एक युवक का नाम बताया है जो देर रात तक बेटी के साथ मौजूद था . पुलिस युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दिया है . नाबालिग के साथ घटित घटना को लेकर गांव में दहशत का माहौल है.
  • ब्लॉक दुर्ग (निकुम) को धूम्रपान मुक्त विकासखण्ड बनाए जाने का लिया गया संकल्प

    राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत ब्लॉक स्तरीय समन्वय समिति के सदस्यों की  ब्लॉक दुर्ग (निकुम)  में आज बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता करते हुए अनुविभागीय अधिकारी खेमलाल वर्मा ने ब्लॉक को धूम्रपान मुक्त बनाए जाने के संकल्प पर सहमति व्यक्त करते हुए तत्काल कार्यवाही के निर्देश दिए ।  इस मौके पर जनपद अध्यक्ष देवेंद्र देशमुख, बीपीएम ऋचा मेश्राम, बी.ई.टी.ओ. विक्रम रामटेके, खाद्य निरीक्षक श्रीमती दीपा वर्मा, टी आई अंडा आर.के. झा, सीडीपीओ अजय साहू व बीईओ केवी राव इत्यादि उपस्थित थे।
    समन्वय समिति की बैठक में द यूनियन से विशेष तौर पर आए डिवीज़नल सलाहकार प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा ब्लॉक निकुम को धूम्रपान मुक्त विकासखण्ड बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया । उन्होंने कहा तम्बाकू कंट्रोल से संबंधित कानून सिगरेट एंव अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) 2003 को सख्ती से लागू करने के लिए  विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं प्रतिनिधि तम्बाकू मुक्त ब्लॉक बनाने में प्रशासन का पूर्ण सहयोग दें। उन्होंने कहा अधिकारी अपने विभागों में तम्बाकू निषेध का बोर्ड लगवाएं और कार्यालय में बीड़ी, सिगरेट आदि पीने वालों के खिलाफ चालान करे तथा अधिनियम के तहत आवश्यक कार्यवाही अमल में लाए।
    इस अवसर पर सीएचसी दुर्ग (निकुम) बीएमओ डॉ सी.बी.एस. बंजारे द्वारा एनटीसीपी कार्यक्रम के अंतर्गत की जा रही गतिविधियों से अवगत कराया गया । डॉ बंजारे ने कहा आमतौर पर तम्बाकू 2 रूपों में उपलब्ध होता है- धूम्रपान और धूम्रपान रहित यानी तंबाकू चबाना व गुड़ाखू, सिगरेट, बीड़ी, सिगार, हुक्का आदि धूम्रपान के रूप हैं। भारतीय महिलाओं में धूम्रपान रहित तंबाकू का उपयोग अधिक प्रचलित है । धुआँ रहित या चबाने योग्य तम्बाकू पान, खैनी, सूँघी, गुटका और पान मसाला आदि के रूप में उपलब्ध है। यह  सभी रूप हानिकारक हैं । तंबाकू में 4,000 से अधिक विभिन्न रसायन पाए गए हैं। इनमें से 60 से अधिक रसायनों को कैंसर का कारण माना जाता है । इसमें मौजूद निकोटीन लोगों को तंबाकू की आदत की ओर जाता है । ई-सिगरेट नामक एक और धुंआ रहित विकल्प है जो सांस के लिए वाष्पीकृत घोल का उत्सर्जन करता है। इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) में अलग-अलग मात्रा में निकोटीन और हानिकारक उत्सर्जन होते हैं। यह विभिन्न नामों के तहत उपलब्ध हैं, जैसे ई-सिगरेट, ई-हुक्का, वेपराइज़र सिगरेट, वेपोर, आदि।
    एनटीसीपी के जिला सलाहकार डॉ सोनल सिंह द्वारा तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान एवं विकासखण्ड स्तर पर चालानी कार्यवाही के बारे में बताया गया| उन्होने तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) 2003 के सभी सेक्शन के बारे में विस्तार से जानकारी दी और सभी विभागों से प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया ताकि लोगों में जागरूकता आ सके। डॉ सोनल सिंह ने कहा, “तम्बाकू स्वास्थ्य पर कई तरह से प्रतिकूल प्रभाव डालता है। तंबाकू से सांस लेने से जुड़ी बीमारियां, हृदय रोग, स्ट्रोक, अल्सर और दिल की धड़कन तेज होने से मृत्यु का कारण बन सकती है । तंबाकू से दांत नष्ट होने, हड्डियां टूटने में वृद्धि, प्रजनन क्षमता में कमी, नवजात शिशुओं में जन्म दोष, मोतियाबिंद और समय से पहले बूढ़ा होने का एक कारण भी है”।
    ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे ऑफ इंडिया 2016-17 के अनुसार, देश में करीब 28.6%  सिगरेट और अन्य तरीकों से तंबाकू का सेवन करते हैं। जबकि छत्तीसगढ़ में 39.1 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग करते हैं। मौजूदा समय में कोविड 19 महामारी ने दुनिया को फिर से मानव जीवन के हर पहलू में स्वास्थ्य के महत्व का एहसास कराया है । स्वास्थ्य एक व्यक्ति और राष्ट्र के लिए सच्चा धन है। शोध में बताया गया है कि धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों को COVID-19 के साथ गंभीर बीमारी होने की संभावना है। COVID-19 मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करता है। धूम्रपान करने से फेफड़ो को कोरोना वायरस से लड़ने में मुश्किल होती है। इस प्रकार WHO की रिपोर्ट के अनुसार, धूम्रपान करने वालों को COVID-19 के कारण गंभीर बीमारी और मृत्यु होने का अधिक खतरा है।   

  • सुकमा : हाट-बाजार क्लिनिक से हो रहा मौके पर उपचार : ग्राम स्तर पर चिकित्सकीय सुविधा से ग्रामीणों में खुशी : 21 हाट-बाजारों में शिविर लगाकर 29 हजार से अधिक मरीजों का उपचार

    मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल द्वारा ग्रामीण अंचल में सुचारु रुप से  स्वास्थ सुुविधाए ंमुहैय्या कराने के उद्देश्य से हाट-बाजार क्लिनिक योजना की शुरूआत  02 अक्टूबर 2019 से किया गया है। इस योजना से दूरस्थ एवं पहुंचविहिन क्षेत्रों के ग्रामीणों को सरलता से स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जा रही हैं। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना के अंतर्गत जिले के ऐसे हाट-बाजार गांव जहॉ कोई स्वास्थ्य संस्था नहीं है और स्वास्थ्य संस्थाओं से न्यूनतम दो से तीन किलो मीटर दूर है, वहाँ के हाट-बाजारों में शिविर लगाकर ग्रामीणों को चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। ग्रामीण अपनी छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के लिए बाजार वाले दिन को प्राथमिकता देते हैं। हाट बाजार क्लीनिक के सवास्थ्य कर्मियों ने बताया कि ग्रामीण उत्साहपूर्वक अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाते हैं। प्रति सप्ताह लगभग 30 ग्रामीण आकर अपनी जांच कर चिकित्सीय परामर्श और निःशुल्क दवाईयां ले जाते हैं।  
        योजना के प्रारंभ होने से लेकर अब तक सुकमा जिले में 29 हजार से अधिक मरीजो का उपचार हाट-बाजारों के क्लिनिक में किया गया है।  जिले के सभी तीनों विकासखण्डों के चिन्हांकित 21 हाट-बाजारों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा शिविर लगाकर ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उनका उपचार एवं दवाई का निःशुल्क वितरण किया जा रहा है।
    ग्रामीणों को क्लिनिक से मिल रहा लाभ
        हाट बाजार क्लीनिक में अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराने आए ग्रामीण खेतमल टावरी ने बताया कि वे हर सप्ताह क्लीनिक आते है। उन्होंने बताया कि 56 वर्ष की आयु में उन्हें अक्सर गैस और रक्तचाप की शिकायत आती रहती है। योजना के शुरू होने से पहले उन्हें जिला अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच करवाना पड़ता था जहां अक्सर भीड़ होने के कारण घंटो इंतजार करना पड़ता था। हाट बाजार क्लीनिक की शुरुआत से अब वे प्रत्येक सप्ताह बड़ी सुगमता से अपनी जांच करवा लेते हैं। उन्होंने बड़ी प्रसन्नता से बताया कि हर सप्ताह अपना निःशुल्क जांच करवाकर गैस की दवाइयां ले जाते हैं। बढ़ती ठंड के कारण उन्हें जोड़ों में तकलीफ हो रही है जिसके जांच के लिए वे आज हाट बाजार में आए थे।
        वहीं जांच करवाने आए सोमा मड़कम ने बताया कि वे हर सप्ताह बाजार आते हैं और क्लीनिक में जाकर जांच करवाते हैं। अपने साथ वे अपने परिवारजनों और मित्रों को भी शासन की इस योजना का लाभ लेने के लिए प्रेरित करते हैं। आज सोमा ने मलेरिया परीक्षण और रक्तचाप की जांच करवाई। उन्होंने साप्ताहिक तौर पर क्लीनिक योजना के संचालन के प्रति प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे ग्रामीणों, खासकर महिलाओं बच्चों और वृद्धजनों को  बहुत सुविधा मिली है। अब उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी होने से वे साप्ताहिक हाट बाजार क्लीनिक में जाकर अपना जांच करवा लेते हैं।
    अब तक 956 शिविर के माध्यम से ग्रामीणों को मिली स्वास्थ्य सेवा
        मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सीबीपी बनसोड़ ने बताया कि जिले में अब तक 956 शिविरों का आयोजन कर 29049 मरीजों का उपचार किया गया एवं निःशुल्क दवाईयां दी गई। शिविर में सर्दी, खांसी, बुखार जैसी सामान्य बीमारियों के स्वास्थ्य परीक्षण के अलावा मलेरिया, टी.बी., एचआईव्ही, रक्तचाप, मधुमेह, रक्ताल्पता, कुष्ठ रोग, नेत्र विकार, डायरिया सहित गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं का टीकाकरण करने के अलावा स्वास्थ्य संबंधी परामर्श देकर तथा इलाज कर उन्हें निःशुल्क दवाईयां दी जाती हैं। जिले के दूरस्थ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी हाट-बाजारों में स्वास्थ्य अमला पहुंचकर शिविर लगाते है और मरीजों का उपचार कर उन्हें निःशुल्क दवाईयां दी जाती है एवं आवश्यक चिकित्सा परामर्श भी दिया जाता है। इस प्रकार मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना से जिले के अंतिम छोर के गांव तक भी स्वास्थ्य सुविधा की पहुंच सुलभ हो गई है, जिसका लाभ ग्रामीणों को आसानी से मिल रहा है।