जेल में बंद विचाराधीन कैदी की जमीन पर अवैध कब्जा — सड्डू आर.आई. ने बिना चौहद्दी व दिशा मिलाए कर दिया सीमांकन, अब डायवर्सन की तैयारी में जुटे कब्जाधारी रायपुर | विशेष रिपोर्ट

जेल में बंद विचाराधीन कैदी की जमीन पर अवैध कब्जा — सड्डू आर.आई. ने बिना चौहद्दी व दिशा मिलाए कर दिया सीमांकन, अब डायवर्सन की तैयारी में जुटे कब्जाधारी  रायपुर | विशेष रिपोर्ट

जेल में बंद विचाराधीन कैदी की जमीन पर अवैध कब्जा — सड्डू आर.आई. ने बिना चौहद्दी व दिशा मिलाए कर दिया सीमांकन, अब डायवर्सन की तैयारी में जुटे कब्जाधारी

रायपुर | विशेष रिपोर्ट

सड्डू क्षेत्र में स्थित विवादित ज़मीन पर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसमें एक विचाराधीन कैदी की अनुपस्थिति का लाभ उठाकर उसकी संपत्ति पर अवैध कब्जा कर लिया गया। मामले में क्षेत्रीय राजस्व अधिकारी (आर.आई.) की संदिग्ध भूमिका भी उजागर हो रही है, जिन्होंने बिना उचित प्रक्रिया अपनाए सीमांकन कर दिया। अब कब्जाधारी उस ज़मीन का डायवर्सन कराने की तैयारी में लगे हैं।

सूत्रों के अनुसार, बिलासपुर निवासी शाहबाज हुसैन फरीदी उर्फ शिबू, जो इस समय न्यायिक हिरासत में है, ने ग्राम सड्डू, हल्का नंबर 109/44, खसरा नंबर 149/1 में प्लाटिंग कर ज़मीन बेची थी। इस ज़मीन को कई लोगों ने खरीदा, लेकिन कुछ समय बाद विवाद शुरू हुआ जब एक बाहरी व्यक्ति ने जेसीबी मशीन से ज़मीन घेरकर उस पर कब्जा कर लिया और अपना बोर्ड लगा दिया।

पावर ऑफ अटॉर्नी के नाम पर धोखाधड़ी

इस विवाद को सुलझाने के लिए शिबू ने एक समझौते के तहत सौरभ बोस को पावर ऑफ अटॉर्नी दी और अपने सभी खरीदारों को उनकी हिस्सेदारी देने का वादा किया। सौरभ बोस को ₹13 लाख नकद व ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए भुगतान भी किया गया। थाना परिसर में हुई बैठक में तय हुआ था कि जमीन बेचकर सभी को उनकी राशि लौटाई जाएगी।

परंतु इसके विपरीत, सौरभ बोस ने अपने निजी लाभ के लिए कार्य करते हुए ज़मीन पर अपने परिचितों को बैठा दिया और खुद के नाम बोर्ड लगवा दिए। इतना ही नहीं, ₹13 लाख की राशि भी आपस में बांट ली गई। इससे अनेक खरीदार दोबारा ठगे गए, जो अब तक थानों और तहसील कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं।

आर.आई. की भूमिका पर उठे सवाल

शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि शिबू के जेल जाने की सूचना मिलते ही सौरभ बोस व अन्य ने मौके का फायदा उठाते हुए ज़मीन पर कब्जा कर लिया। इस अवैध कार्य में सड्डू आर.आई. की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है, जिन्होंने बिना उचित चौहद्दी और दिशा मिलाए ही सीमांकन कर रिपोर्ट जारी कर दी।

अब ये कब्जाधारी ज़मीन का डायवर्सन कराने की कोशिश में हैं, जिससे वह ज़मीन को वैध दिखाकर उसे ऊँचे दामों पर बेच सकें।

खरीदारों की गुहार

पीड़ित ज़मीन खरीदारों ने प्रशासन और पुलिस से सौरभ बोस, उसके सहयोगियों तथा सड्डू आर.आई. की जांच कर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि उन्हें दोहरी चोट दी गई — एक बार ज़मीन बेचने वाले से और दूसरी बार उसके पावर ऑफ अटॉर्नीधारी से।

न्याय की मांग कर रहे पीड़ितों का कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वे धरना, प्रदर्शन और न्यायालय की शरण लेंगे।

प्रशासन से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है।