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  • हिजाब विवाद : कर्नाटक हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा कैंपस फ्रंट आफ इंडिया की भूमिका का ब्योरा

    बेंगलुरु। कर्नाटक हाई कोर्ट ने कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (CFI) की भूमिका के बारे में जानकारी मांगी है। बहुचर्चित हिजाब विवाद (hijab controversy) पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रदेश सरकार(Government) से जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा है। पिछली एक जनवरी को उडुपी के एक कालेज (Collage) की छह छात्राएं सीएफआई (CFI) द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुई थी। सम्मेलन के दौरान कालेज के शिक्षकों द्वारा कक्षाओं में हिजाब(Hijab) पहनकर प्रवेश  करने के लिए अनुमति नहीं दिए जाने का विरोध किया गया था।

    कुछ छात्राओं ने मांगी थी कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति
    कालेज के प्रिंसिपल ने बताया कि सीएफआई द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के ठीक चार दिन पहले छात्राओं ने क्लास में हिजाब पहनने की अनुमति मांगी थी, जो उन्हें नहीं दी गई। साथ ही उन्होंने बताया कि कालेज में छात्राएं हिजाब पहनकर आती थीं, लेकिन उसे हटाने के बाद ही वो क्लास में प्रवेश करती थीं। प्रिंसिपल रुद्रे गौड़ा ने कहा, ‘संस्थान में हिजाब पहनने पर कोई नियम नहीं था, लेकिन पिछले 35 वर्षों में कोई भी इसे क्लास में नहीं पहनता था। उन्होंने कहा कि कक्षा में हिजाब पहनने की मांग के साथ आए छात्राओं को बाहरी ताकतों का समर्थन प्राप्त था।’

     

    सीएफआई से जुड़े हिजाब विवाद के तार
    गवर्नमेंट पीयू कालेज फार गर्ल्स के प्रिंसिपल और शिक्षक के ओर से कोर्ट में पेश अधिवक्ता एसएस नागानंद ने बुधवार को जजों की बेंच को बताया कि हिजाब विवाद कुछ छात्रों द्वारा शुरू किया गया था। ये छात्र सीएफआई के प्रति निष्ठा रखते हैं और इन्हें संस्था से समर्थन प्राप्त है। इस पर, मुख्य न्यायाधीश ने जानना चाहा कि सीएफआई क्या है और मामले में इसकी क्या भूमिका है।

    संगठन पर शिक्षकों को धमकाने का आरोप
    कोर्ट में एक अन्य वकील ने बताया कि सीएफआई एक कट्टरपंथी संगठन है। जिसे किसी भी कालेज के द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। वहीं, अधिवक्ता एसएस नागानंद ने अदालत को बताया कि कुछ शिक्षकों को सीएफआई की ओर से धमकाया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक शिकायत दर्ज करने से डर रहे थे, लेकिन अब उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

  • रामायण के ‘रामसेतु’ पर सुप्रीम कोर्ट में 9 मार्च को होगी सुनवाई

    नई दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने रामायण (Ramayana) में वर्णित ‘रामसेतु’ (ramsetu) को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देने की मांग संबंधी एक याचिका पर लगभग दो साल बाद फिर शीघ्र सुनवाई करने की अर्जी बुधवार को स्वीकार कर ली। शीर्ष अदालत (SC) ने सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (MP Subramanian Swamy) की गुजारिश को स्वीकार करते हुए कहा कि वह इस मामले में नौ मार्च को सुनवाई करेगी।

    मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने  सांसद स्वामी की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद याचिका पर सुनवाई के लिए 9 मार्च के लिए सूचीबद्ध करने की का निर्देश दिया। स्वामी ने इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई की गुहार आज ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान लगाई थी। इससे पहले उन्होंने 23 जनवरी 2020 में शीघ्र सुनवाई की निवेदन किया था जिस पर केंद्र जवाब तलब किया गया था।राज्यसभा सांसद स्वामी का दावा है कि केंद्र सरकार ने ‘रामसेतु’ का अस्तित्व पहले ही स्वीकार कर चुकी है। सरकार ने उनकी मांग पर 2017 में इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने पर विचार करने को लेकर सहमति व्यक्त की थी। लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया। श्री स्वामी का कहना है कि केंद्र सरकार ने अभी तक रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

    मान्यता है कि तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी तट पर रामेश्वरम और श्रीलंका के मन्नार द्वीप के बीच स्थित चूने के चट्टानों की श्रृंखला (एडम्स ब्रिज के नाम से जाना जाता है) प्राचीन काल में ‘रामसेतु’ के तौर पर जानी जाती थी। प्राचीन धार्मिक ग्रंथ रामायण में इसका वर्णन किया गया है। इस धार्मिक ग्रंथ के मुताबिक मां सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए भगवान श्री राम की वानर सेना ने इस सेतु का निर्माण किया था।

    कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र की संप्रग-एक सरकार के कार्यकाल में ‘सेतु समुद्रम’ परियोजना के खिलाफ दायर याचिका के बाद ‘रामसेतु’ का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया। वर्ष 2007 में इस परियोजना पर रोक लगा दी गई थी। भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे को बार-बार उठाती रही है।

  • सुप्रीम कोर्ट की  10-12वीं ‘ऑफलाइन’ परीक्षाओं को हरी झंडी

    नई दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने दसवीं और 12वीं कक्षाओं की सीबीएसई एवं अन्य बोर्डों की परीक्षाएं विद्यार्थियों की शारीरिक उपस्थिति के साथ (ऑफलाइन) आयोजित कराने के प्रस्ताव को बुधवार को हरी झंडी दे दी। शीर्ष अदालत ने प्रस्तावित ऑफलाइन परीक्षाओं के खिलाफ दायर याचिका को ‘लाखों छात्रों के बीच में भ्रम फैलाने की कोशिश’ करार देते हुए हर्जाने की चेतावनी के साथ इसे खारिज कर दिया।

    न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रवि कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस याचिका को ‘गैर- जरूरी’ और ‘भ्रामक’ बताते हुए इस पर आगे की सुनवाई करने से इनकार कर दिया। हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि प्रस्तावित ऑफलाइन परीक्षा माध्यम से जिन विद्यार्थियों को किसी प्रकार की परेशानी महसूस होती है, वे संबंधित अधिकारियों के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं।
    शीर्ष अदालत ने कहा कि परीक्षाएं आयोजित करने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, ऐसे में उसे रोकना उचित नहीं होगा। याचिका में 10वीं एवं 12वीं कक्षाओं के बोर्ड की प्रस्तावित शारीरिक (कक्षाओं में बैठकर) परीक्षाएं रद्द करने तथा गत वर्ष की तरह वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति से परीक्षा परिणाम घोषित करने के निर्देश संबंधित बोर्डों को देने की मांग की गई थी।

     

    अधिवक्ता प्रशांत पद्मनाभन ने इस मामले में लगातार दूसरे दिन मंगलवार को भी शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सोमवार को अधिवक्ता पद्मनाभन की गुहार स्वीकार करते हुए याचिका को न्यायमूर्ति खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था। याचिका में सीबीएसई, आईसीएसई, एनआईओएस के अलावा सभी राज्यों में कक्षा 10वीं और 12 वीं कक्षाओं की बोर्ड की परीक्षाएं शारीरिक रूप से आयोजित कराने पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी।

    याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कक्षाएं ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की गई हैं, इसलिए शारीरिक रूप से परीक्षा आयोजित कराना उचित नहीं होगा। याचिका में तर्क दिया गया था कि कोविड -19 महामारी के कारण शारीरिक कक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकीं। ऐसे में शारीरिक तौर पर परीक्षाएं आयोजित करने से विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा तथा वे अपने परिणाम को लेकर बेहद तनाव में आ सकते हैं। ऐसे में इसके खतरनाक परिणाम आने की आशंका है।

    याचिकाकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय ने अपनी याचिका में दावा किया था कि शारीरिक रूप से परीक्षाएं कराने के फैसले से कई विद्यार्थी दुखी हैं। उन्होंने विभिन्न तर्कों के माध्यम से दावा किया था कि बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम मानसिक दबाव का कारण बनते हैं। इन वजहों से हर साल कई विद्यार्थी अपने खराब प्रदर्शन या असफलता के डर से आत्महत्या कर तक लेते हैं।

    याचिका में अदालत से ऑफलाइन/ शारीरिक तौर पर परीक्षा के बजाय वैकल्पिक यानी पिछले साल की तरह परिणाम तैयार करने की गुहार लगाई गई है। विद्यार्थियों के पिछले शैक्षणिक परिणाम, कक्षाओं में विद्यार्थियों के शैक्षणिक प्रदर्शन का आंतरिक मूल्यांकन पद्धति पर आगे के परिणाम तय करने की व्यवस्था करने का आदेश देने की गुहार लगाई गई है।

    याचिका में आंतरिक मूल्यांकन से असंतुष्ट कंपार्टमेंट वाले विद्यार्थियों के लिए सुधार का एक और मौका देते हुए परीक्षा आयोजित करने का भी अनुरोध किया था। याचिकाकर्ता ने कंपार्टमेंट वाले विद्यार्थियों सहित अन्य परीक्षाओं के मूल्यांकन के फार्मूले को तय करने के लिए एक समिति का गठन करने की गुहार लगाई थी। उन्होंने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि परीक्षा एवं परिणाम एक समय सीमा के भीतर घोषित करने का आदेश संबंधित पक्षों को दिया जाए।

  • एक ऐसा शिव मंदिर जो सिर्फ महाशिवरात्रि पर ही खुलता है, जानिए इसकी विशेषता

    भोपाल। देश दुनिया में यूं तो महादेव के कई मंदिर (Many temples of Mahadev) हैं, इनमें से जहां कुछ साल भर खुलते हैं तो कुछ चंद महीने। लेकिन, मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में महादेव का एक मंदिर ऐसा भी है जो केवल महाशिवरात्रि (Opens only on Mahashivratri) पर ही खुलता है। दरअसल मध्यप्रदेश के रायसेन जिले (Raisen District) में एक काफी पुराना भगवान शिव का मंदिर है, प्राचीन सोमश्वर महादेव मंदिर (Ancient Someshwar Mahadev Temple) के नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर रायसेन के प्राचीन दुर्ग परिसर के एक ऊंचे पहाड़ पर स्थित है। यहां भगवान सोमेश्वर महादेव के दर्शन काफी दुर्लभ माने जाते हैं।

    केवल महाशिवरात्रि पर खुलते हैं मंदिर के द्वार:
    इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इसके पट वर्ष में सिर्फ एक बार महाशिवरात्रि पर ही खुलते हैं। सुबह 6:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक प्रशासनिक अधिकारियों और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में मंदिर के ताले केवल 12 घंटे के लिए खोले जाते हैं। यानि इस दिन भी सूर्योदय के समय मंदिर के दरवाजे खोने के पश्चात सूर्यास्त के बाद इन्हें बंद कर दिया जाता है।

    हर मनोकामना होती है पूरी:
    इसके अलावा कुछ भक्त यहां साल भर आते हैं, लेकिन इस दौरान मंदिर का ताला बंद रहता है। ऐसे में भक्त गेट के बाहर से ही बाबा सोमेश्वर की पूजा करने आते हैं और मन्नत मांग कर मंदिर के लोहे के दरवाजे पर ये भक्त कलावा और कपड़ा बांध जाते हैं। इसके बाद मनोकामना पूरी होने पर फिर ये भक्त इस कपड़े को खोलने भी आते हैं।

    श्रावण मास में श्रद्धालुओं को अलग व्यवस्था:
    वहीं इस शिव मंदिर में बने शिवलिंग की ये अद्भुत बात है कि सूर्य की किरणें जब इस शिवलिंग पर पड़ती हैं तो यह सोने सा दमक उठता है। वहीं श्रावण मास में श्रद्धालुओं को जलाभिषेक के लिए यहां अलग से व्यवस्था की जाती है। इस दौरान लोहे की जाली लगाकर भगवान शिव के दूर से ही दर्शन कराए जाते हैं और पाइप के जरिये शिवलिंग पर जल अर्पित किया जाता है।

  • सुप्रीम कोर्ट की  10-12वीं ‘ऑफलाइन’ परीक्षाओं को हरी झंडी

    नई दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने दसवीं और 12वीं कक्षाओं की सीबीएसई एवं अन्य बोर्डों की परीक्षाएं विद्यार्थियों की शारीरिक उपस्थिति के साथ (ऑफलाइन) आयोजित कराने के प्रस्ताव को बुधवार को हरी झंडी दे दी। शीर्ष अदालत ने प्रस्तावित ऑफलाइन परीक्षाओं के खिलाफ दायर याचिका को ‘लाखों छात्रों के बीच में भ्रम फैलाने की कोशिश’ करार देते हुए हर्जाने की चेतावनी के साथ इसे खारिज कर दिया।

    न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रवि कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस याचिका को ‘गैर- जरूरी’ और ‘भ्रामक’ बताते हुए इस पर आगे की सुनवाई करने से इनकार कर दिया। हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि प्रस्तावित ऑफलाइन परीक्षा माध्यम से जिन विद्यार्थियों को किसी प्रकार की परेशानी महसूस होती है, वे संबंधित अधिकारियों के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं।
    शीर्ष अदालत ने कहा कि परीक्षाएं आयोजित करने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, ऐसे में उसे रोकना उचित नहीं होगा। याचिका में 10वीं एवं 12वीं कक्षाओं के बोर्ड की प्रस्तावित शारीरिक (कक्षाओं में बैठकर) परीक्षाएं रद्द करने तथा गत वर्ष की तरह वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति से परीक्षा परिणाम घोषित करने के निर्देश संबंधित बोर्डों को देने की मांग की गई थी।

    अधिवक्ता प्रशांत पद्मनाभन ने इस मामले में लगातार दूसरे दिन मंगलवार को भी शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सोमवार को अधिवक्ता पद्मनाभन की गुहार स्वीकार करते हुए याचिका को न्यायमूर्ति खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था। याचिका में सीबीएसई, आईसीएसई, एनआईओएस के अलावा सभी राज्यों में कक्षा 10वीं और 12 वीं कक्षाओं की बोर्ड की परीक्षाएं शारीरिक रूप से आयोजित कराने पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी।

    याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कक्षाएं ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की गई हैं, इसलिए शारीरिक रूप से परीक्षा आयोजित कराना उचित नहीं होगा। याचिका में तर्क दिया गया था कि कोविड -19 महामारी के कारण शारीरिक कक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकीं। ऐसे में शारीरिक तौर पर परीक्षाएं आयोजित करने से विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा तथा वे अपने परिणाम को लेकर बेहद तनाव में आ सकते हैं। ऐसे में इसके खतरनाक परिणाम आने की आशंका है।

    याचिकाकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय ने अपनी याचिका में दावा किया था कि शारीरिक रूप से परीक्षाएं कराने के फैसले से कई विद्यार्थी दुखी हैं। उन्होंने विभिन्न तर्कों के माध्यम से दावा किया था कि बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम मानसिक दबाव का कारण बनते हैं। इन वजहों से हर साल कई विद्यार्थी अपने खराब प्रदर्शन या असफलता के डर से आत्महत्या कर तक लेते हैं।

    याचिका में अदालत से ऑफलाइन/ शारीरिक तौर पर परीक्षा के बजाय वैकल्पिक यानी पिछले साल की तरह परिणाम तैयार करने की गुहार लगाई गई है। विद्यार्थियों के पिछले शैक्षणिक परिणाम, कक्षाओं में विद्यार्थियों के शैक्षणिक प्रदर्शन का आंतरिक मूल्यांकन पद्धति पर आगे के परिणाम तय करने की व्यवस्था करने का आदेश देने की गुहार लगाई गई है।

    याचिका में आंतरिक मूल्यांकन से असंतुष्ट कंपार्टमेंट वाले विद्यार्थियों के लिए सुधार का एक और मौका देते हुए परीक्षा आयोजित करने का भी अनुरोध किया था। याचिकाकर्ता ने कंपार्टमेंट वाले विद्यार्थियों सहित अन्य परीक्षाओं के मूल्यांकन के फार्मूले को तय करने के लिए एक समिति का गठन करने की गुहार लगाई थी। उन्होंने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि परीक्षा एवं परिणाम एक समय सीमा के भीतर घोषित करने का आदेश संबंधित पक्षों को दिया जाए।

  • मप्र विधानसभा चुनाव में मात्र 19 माह बचे हैं, अब जनता ही भाजपा का फैसला करेगी: कमलनाथ

    भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Chief Minister Kamal Nath) ने बुधवार को भिंड जिले के दौरे के दौरान एक विशाल जनाक्रोश रैली (Huge Janakrosh Rally) व जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने संत गाडगे महाराज की जयंती के अवसर पर उन्हें नमन करते हुए कहा कि चंबल की भूमि (land of chambal) वीरों की भूमि है, संतों की भूमि है, मूल्यों की भूमि है। यहां से बड़ी संख्या में युवा फौज में भर्ती होने जाते हैं।

    उन्होंने कहा कि भाजपा के पास अब केवल पुलिस, पैसा, और प्रशासन बचा है। भाजपा सत्ता का दुरुपयोग कर निर्दोषों पर झूठे मुकदमे लगाकर दबाव की राजनीति कर रही है, लेकिन वह याद रखें कि विधानसभा चुनाव में केवल 19 महीने ही बचे हैं, अब प्रदेश की जनता ही भाजपा का फैसला करेगी। कांग्रेस की संस्कृति ही भारत की संस्कृति है और यही हमारी संस्कृति देश को जोड़ने की संस्कृति है। हम दिल जोड़ते हैं, संबंध जोड़ते हैं, रिश्ता जोड़ते हैं। पूरे विश्व में भारत एक ऐसा देश हैं, जहां इतने धर्म, इतनी जातियां हैं, कितनी भाषाएं, कितने रीति-रिवाज, कितने त्यौहार, कितने देवी देवता है, इसके बाद भी आज हम सब एक झंडे के नीचे खड़े हैं।नाथ ने कहा कि आज हमारी इसी संस्कृति पर आक्रमण हो रहा है।हमें तय करना है कि हम कौन सा रास्ता चुने, देश की संस्कृति पर चलने का या मोदी जी के बताये रास्ते पर चलने का। बाबासाहेब अंबेडकर ने संविधान बनाया, जिसकी आज पूरे विश्व भर में प्रशंसा होती है, बाबासाहेब के सामने कौन सी चुनौती नहीं थी लेकिन आज हमारा यह संविधान गलत हाथों में चला जाए तो हमें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।उन्होंने कहा कि हमने प्रदेश में विश्वास का माहौल बनाने का प्रयास किया ताकि प्रदेश में निवेश आये। हमारा प्रयास था कि शासकीय योजनाओं में भ्रष्टाचार ना हो, ताकि युवाओं को रोजगार मिल सके। शिवराज सरकार में प्रदेश की पहचान माफिया और मिलावटखोरों से थी। हमने इसी पहचान को बदलने का काम किया। आज मध्य प्रदेश में रेत माफिया, शराब माफिया, भूमाफिया, ऐसा कौन सा माफिया सक्रिय नहीं है? हमने रेत का काम नौजवानों को देने का प्रयास किया, ताकि उन्हें रोजगार मिल सके।

    उन्होंने मुख्यमंत्री ने निशाना साधते हुए कहा कि शिवराजजी का तो सबको पता है वे कितना झूठ बोलते हैं। वे इतना झूठ बोलते है कि झूठ भी शर्मा जाये, वे रोज झूठी घोषणाएं करते हैं। कहीं मेडिकल कॉलेज, कहीं पुल, कहीं रिंग रोड, आज भी उनकी 20 हजार घोषणाएं अधूरी है। वे कहते हैं कांग्रेस ने 70 साल में क्या किया, मोदी जी भी यही कहते हैं। मैं कहता हूं मोदी जी यदि किसी स्कूल गए होंगे तो वह स्कूल भी कांग्रेस ने बनवाया है। शिवराज जी जिस स्कूल में पढ़े हैं, वह स्कूल भी कांग्रेस ने बनवाया हैं।

    नाथ ने कहा कि आज किसान बिना दाम के, युवा बिना काम का और व्यापारी बिना व्यापार का तो फिर शिवराज जी आप किस काम के। शिवराज जी की तो आंखें बंद हैं, उनके कान बंद हैं, उनका तो सिर्फ मुंह भर चलता है। उन्होंने कहा कि आप भले कांग्रेस का साथ मत देना, कमलनाथ का साथ मत देना, लेकिन सच्चाई का साथ जरूर देना क्योंकि यही सच्चाई प्रदेश का नवनिर्माण करेगी। एजेंसी

     

  • पेट्रोल-डीजल के दाम रहे स्थिर, कच्चा तेल 100 डॉलर के पार

    नई दिल्ली । रूस का यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के ऐलान से अंतरराष्ट्रीय बाजार (International market) में कच्चा तेल (crude oil) 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है। हालांकि, घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) के दाम स्थिर रहे। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने 111वें दिन भी दोनों ईंधनों की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया। दिल्ली में गुरुवार को पेट्रोल 95.41 रुपये प्रति लीटर, जबकि डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर पर टिका रहा।

    इंडियन ऑयल की वेबसाइट के मुताबिक देश के अन्य महानगरों मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में पेट्रोल की कीमत क्रमश: 109.98 रुपये, 104.67 रुपये और 101.40 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर है। वहीं, इन महानगरों में डीजल का भाव भी क्रमश: 94.14 रुपये, 89.79 रुपये और 91.43 रुपये प्रति लीटर है। इसके साथ ही नोएडा में पेट्रोल 95.51 रुपये और डीजल 87.01 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है।

    उल्लेखनीय है कि यूक्रेन पर रूस के हमले की कार्रवाई का असर कच्चे तेल की कीमत पर दिखने लगा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल का भाव उछलकर 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है। हफ्ते के चौथे कारोबारी दिन डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमत 95.47 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेंड कर रहा है। वहीं, ब्रेंट क्रूड 100.03 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।

  • बैंक से बदलवा सकते हैं कटे-फटे नोट, कोई भी सरकारी बैंक नहीं कर सकता है इनकार, जानिए RBI के नियम

    नई दिल्ली। अगर आपके पास फटा या टेप चिपका (torn or tapered note) हुआ नोट है और आप ये नोट कहीं दे नहीं पा हैं क्योंकि दुकानदार (shopkeeper) भी इसे लेने से मना करते हैं. तो अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आपको इस नोट के बदले सही नोट मिल जाएंगे. इस टेप चिपके हुये नोट को बदलने के लिए आरबीआई ने नियम (RBI rules) बनाए हैं. आइए जानते हैं कि बैंक नियमों के अनुसार, इन नोट को आप कैसे बदल (how to exchange mutilated notes) सकते हैं और कैसे आप पूरे पैसे वापस पा सकते हैं. यानी कैसे इस टेप चिपके नोट को आप वैध बना सकते हैं।

     

    ते है बैंक के नियम?
    भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) के साल 2017 के एक्सचेंज करेंसी नोट नियमों (Exchange Currency Note Rules) के अनुसार, अगर एटीएम से आपको कटे-फटे नोट मिलते हैं तो इन्हें आप आसानी से बदल सकते हैं. और कोई भी सरकारी बैंक (PSBs) नोट बदलने से इंकार नहीं कर सकते. ऐसे नोट को बैंक लेने से मना नहीं कर सकते हैं।

    ये है नोट बदलने का तरीका
    अगर आपका नोट टुकड़ों में फटा हो तो भी बैंक इसे बदलेगा. यहां तक कि फटे नोट का कोई हिस्सा गायब भी हो तो उसे एक्सचेंज किया जा सकता है.अगर किसी नोट का हिस्सा पूरी तरह से फटा हो, पूरा हिस्सा कट गया हो या पूरा नोट जला हो तो उसे सिर्फ आरबीआई के इश्यू ऑफिस में बदला जा सकता है. इसके लिए आप एक फॉर्म भरकर सरकारी बैंक, प्राइवेट बैंक के करंसी चेस्ट या आरबीआई के इश्यू ऑफिस में जाकर बदल सकते हैं।

    पूरे पैसे मिलेंगे वापस
    आपके नोट की हालत और नोट वैल्यू पर यह निर्भर करता है कि आपको पूरे पैसे वापस मिलेंगे या नहीं. थोड़े-बहुत कटे फटे नोट की स्थिति में पूरे पैसे मिल जाते हैं, लेकिन अगर नोट ज्यादा फटा है तो आपको कुछ प्रतिशत पैसा वापस मिलेगा. उदाहरण से समझें- अगर 50 रुपये से कम वैल्‍यू वाले नोट का सबसे बड़ा टुकड़ा सामान्‍य नोट के 50 फीसदी से ज्‍यादा बड़ा है तो इस नोट के बदलने पर उसकी पूरी वैल्‍यू मिलेगी. अगर 50 रुपये से अधिक वैल्‍यू वाले नोट का सबसे बड़ा टुकड़ा सामान्‍य नोट की तुलना में 80 फीसदी या इससे ज्‍यादा है तो इस नोट के बदलने पर आपको पूरी कीमत मिलेगी।

    वहीं, अगर 50 रुपये से अधिक वैल्‍यू वाले नोट का सबसे बड़ा टुकड़ा सामान्‍य नोट के 40 से 80 फीसदी के बीच होता है तो आपको उस नोट के वैल्‍यू की आधी कीमत ही मिलेगी. अगर 50 रुयपे से अधिक वैल्‍यू वाले एक ही नोट के दो टुकड़े हैं और ये दोनों टुकड़े सामान्‍य नोट के 40 फीसदी तक हैं तो आपको नोट के पूरी वैल्‍यू के बराबर कीमत मिलेगी. 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये के नोटों को बदलने पर आधी कीमत नहीं मिलती है. यानी अब आप बिना घाटे के अपने पैसे बदल सकते हैं।

    ऐसे करें शिकायत
    अगर आपको कोई बैंक कटे-फटे नोट बदलने के लिए मना करे तो https://crcf.sbi.co.in/ccf/ under General Banking// Cash Related category में आप इसकी शिकायत भी कर सकते हैं. यह लिंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम के लिए है. कई रिपोर्ट्स के अनुसार, कोई भी बैंक एटीएम से निकले कटे-फटे नोट को बदलने से इंकार नहीं कर सकता. साथ ही इसके बावजूद अगर बैंक नियमों का उल्लंघन करते हैं तो बैंक कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती हैं. कस्टमर की शिकायत के आधार पर बैंक को 10 हजार तक का हर्जाना भी भरना पड़ सकता है।

  • कैश लेन-देन में की है यह गलती तो हो जाएं सावधान, घर आएगा Income Tax Notice, जानिए क्या हैं नियम

    नई दिल्ली। आज का जमाना डिजिटल लेनदेन ((digital transaction)) का है, क्योंकि ये बेहद आसान और तेज है. सरकार ने भी ज्यादातर पेमेंट्स के लिए डिजिटल ट्रांजैक्शन (digital transaction) को अनिवार्य बनाया है ताकि वित्तीय लेन-देन पर नजर रखी जा सके. बावजूद इसके कैश में पेमेंट करने वालों की भी कमी नहीं है, लेकिन इन लोगों को शायद ये नहीं मालूम कि इनकम टैक्स विभाग की नजर तब भी इन पर रहती है. एक लिमिट से ज्यादा कैश लेन-देन (Cash Transaction) पर इनकम टैक्स विभाग का नोटिस (notice of income tax department) आ सकता है.

    बता दें कि बैंक, म्यूचुअल फंड, ब्रोकरेज हाउस और प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार के पास अगर कोई बड़े कैश ट्रांजैक्शन करता है तो इसकी जानकारी उन्हें इनकम टैक्स विभाग को देनी ही होती है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो डिजिटल की बजाय कैश ट्रांजैक्शन ज्यादा करते हैं तो आपको खुद मुसीबत को दावत दे रहे हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे कैश ट्रांजैक्शन जिससे आपको इनकम टैक्स विभाग का नोटिस आ सकता है।

    प्रॉपर्टी की खरीदारी
    30 लाख या इससे ज्यादा वैल्यू की प्रॉपर्टी को कैश में खरीदते या बेचते हैं तो प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार की तरफ से इसकी जानकारी आयकर विभाग को जाएगी. ऐसे में आयकर विभाग आपसे इस कैश डील के बारे में पूछताछ कर सकता है, पैसों के स्रोत के बारे में सफाई भी मांग सकता है।

    Credit Card बिल का पेमेंट
    अगर आप Credit Card का बिल भी कैश में जमा करते हैं तो आपके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. अगर आप एक बार में 1 लाख रुपये से ज्यादा कैश क्रेडिट कार्ड के बिल के तौर पर जमा करते हैं तो इनकम टैक्स विभाग का नोटिस आपको आ सकता है. अगर आप एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा का क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान कैश में करते हैं तो भी आपसे पैसों से स्रोत के बारे में पूछा जा सकता है।

    शेयर, MF की खरीद
    अगर आप शेयर, म्यूचुअल फंड, डिबेंचर और बॉन्ड में बड़ी मात्रा में कैश लेन-देन करते हैं तो अलर्ट हो जाइए क्योंकि एक वित्त वर्ष में इनमें 10 लाख रुपये से ज्यादा निवेश करने पर आपको इनकम टैक्स विभाग का बुलावा आ सकता है।

    FD में कैश में डिपॉजिट करना
    अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट में साल में 10 लाख रुपये से ज्यादा जमा करते हैं, भले ही वो एक बार में जमा किए हों या कई बार में. इनकम टैक्स विभाग आपसे इन पैसों के स्रोत के बारे में पूछ सकता है. इसलिए बेहतर होगा आप डिजिटल तरीके से ही पैसों को FD में जमा करें, ताकि इनकम टैक्स विभाग के पास आपके ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड रहेगा और आपको भी परेशानी नहीं होगी।

    बैंक अकाउंट में पैसे जमा करना
    जिस तरह फिक्स्ड डिपॉजिट में साल में 10 लाख रुपये या इससे ज्यादा कैश जमा करने पर इनकम टैक्स विभाग आपसे सवाल पूछ सकता है, ठीक उसी तरह अगर आपने किसी बैंक या को-ऑपरेटिव बैंक में साल भर में 10 लाख या इससे ज्यादा रकम कैश में जमा की तो आप इनकम टैक्स विभाग के रडार पर आ जाएंगे।

  • IPL 2022: मयंक अग्रवाल होंगे पंजाब किंग्स के नए कप्तान, जल्द ही आधिकारिक एलान करेगी टीम

    नई दिल्ली। भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल को पंजाब किंग्स का नया कप्तान बनाया जा सकता है। टीम ने उन्हें आईपीएल 2022 मेगा ऑक्शन से पहले रिटेन किया था। इसके बाद माना जा रहा था कि उन्हें टीम की कमान दी जाएगी।

    हालांकि, अब तक इसका आधिकारिक एलान नहीं हुआ है, लेकिन जल्द ही फ्रेंचाइजी मयंक को आधिकारिक तौर पर कप्तान बना सकती है। पंजाब आईपीएल की उन दो टीमों में शामिल है, जिन्होंने 2022 का सीजन शुरू होने से पहले अब तक अपने कप्तान का एलान नहीं किया है।

    पंजाब किंग्स के अलावा रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम ने भी अपने नए कप्तान का नाम नहीं जारी किया है। दक्षिण अफ्रीका के फाफ डुप्लेसिस को इस टीम का कप्तान बनाया जा सकता है। पीटीआई की खबर के अनुसार इसी सप्ताह मयंक को आधिकारिक तौर पर पंजाब का कप्तान बनाया जा सकता है।

  • SBI और PNB के ग्राहकों के लिए बड़ी खबर! बैंक ने किया अलर्ट, बंद हो सकती है आपकी बैंकिंग सेवा

    नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र के देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और पीएनबी ने अपने ग्राहकों को हाई अलर्ट किया है. अगर ग्राहकों ने ढीलाई की तो उनकी बैंकिंग सर्विस रुक सकती है. बैंक ने अपने अकाउंट होल्डर्स को 31 मार्च 2022 के पहले पैन-आधार कार्ड को लिंक करने के लिए नोटिस किया है. बैंक ने कहा है कि अगर ग्राहक ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी बैंकिंग सेवा ठप हो सकती है. SBI ने इसके लिए ट्वीट भी किया है.

    31 मार्च तक है मौका
    एसबीआई ने कहा, ‘हम अपने ग्राहकों को सलाह देते हैं कि वे किसी भी असुविधा से बचने के लिए अपने पैन को आधार से लिंक करें और एक निर्बाध बैंकिंग सेवा का आनंद लेते रहें. इसके साथ ही बैंक ने कहा कि पैन को आधार से लिंक करना अनिवार्य है. यदि पैन और आधार लिंक नहीं हैं, तो पैन निष्क्रिय हो जाएगा और स्पेसिफाइड ट्रांजैक्शन करने के लिए पैन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.’ बता दें कि केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए पैन को आधार से जोड़ने की समय सीमा 30 सितंबर 2021 से बढ़ा कर 31 मार्च 2022 कर दी है.

    सुझाए गए समाचार

    पैन-आधार कार्ड को ऐसे लिंक करें पहला तरीका

    • सबसे पहले आप इनकम टैक्स की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं https://www.incometaxindiaefiling.gov.in/home
    • यहां पर बाईं तरफ आपको Link Aadhaar का विकल्प दिखेगा, इसको क्लिक करें
    • एक नया पेज खुलेगा, जहां पर आपको PAN, AADHAAR और आधार में आपका नाम जैसे लिखा है, भरना है
    • अगर आपके आधार कार्ड में सिर्फ जन्म का साल है तो ‘I have only year of birth in aadhaar card’ के बॉक्स को टिक करें
    • कैप्चा कोड डालें या OTP के लिए टिक करें
    • लिंक आधार के बटन को क्लिक करें, बस हो गया आपको PAN और Aadhaar लिंक

    दूसरा तरीका

    • आप PAN और Aadhaar को SMS के जरिए भी लिंक कर सकते हैं
    • मोबाइल के मैसेज बॉक्स में जाकर टाइप करें – UIDPAN<12-digit Aadhaar><10-digit PAN>
    • इस मैसेज को 567678 या 56161 पर भेज दें, बस हो गया काम
  • कच्चे तेल में उबाल, 112वें दिन भी स्थिर रहे पेट्रोल और डीजल के दाम
    नई दिल्ली, रूस यूक्रेन संकट से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 102 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचने के बावजूद घरेलू स्तर पर आज लगातार 112वें दिन भी पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर रहे। केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमशः पांच और 10 रुपये घटाने की घोषणा के बाद 04 नवंबर 2021 को ईंधन की कीमतों में तेजी से कमी आई थी। इसके बाद राज्य सरकार के मूल्य वर्धित कर (वैट) कम करने के फैसले के बाद राजधानी दिल्ली में भी वैट को कम करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद राजधानी में 02 दिसंबर 2021 को पेट्रोल लगभग आठ रुपये सस्ता हुआ था। डीजल की भी कीमतें हालांकि जस की तस बनी रहीं। केंद्र द्वारा उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद अधिकांश राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भी पेट्रोल और डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) कम कर दिया था, जिससे आम आदमी को काफी राहत मिली थी। सिंगापुर में आज सुबह लंदन ब्रेंट क्रूड 5.68 प्रतिशत उबलकर 102.34 डॉलर प्रति बैरल और अमेरिकी क्रूड 5.29 प्रतिशत की तेजी के साथ 96.97डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। पेट्रोल-डीजल के मूल्यों की नित्य प्रतिदिन समीक्षा होती है और उसके आधार पर प्रतिदिन सुबह छह बजे से नयी कीमतें लागू की जाती हैं। देश के चार बड़े महानगरों में आज पेट्रोल और डीजल के दाम इस प्रकार रहे: महानगर…………पेट्रोल………….डीजल (रुपए प्रति लीटर) दिल्ली…………..95.41…….. 86.67 कोलकाता ……104.67……..89.79 मुंबई …………..109.98………94.14 चेन्नई……………101.40……….91.43